अग्निहोत्र


aginhotra

अग्निहोत्र अर्थात् अग्निके माध्यमसे सृष्टिके संचालनकी भूमिकाका निर्वहन कर रहे देव-तत्त्वोंको आहुति (हविष्य) अर्पण करना । सूर्योदय और सूर्यास्तके समय अग्निहोत्र करनेसे वायुका शुद्धिकरण होता है । अग्निहोत्र करनेसे मनमें अच्छे विचार आते हैं । अंतर्मनको शक्ति मिलती है । नियमित रूपसे अग्निहोत्र करनेपर स्वास्थ्य लाभ होता है । अग्निहोत्र करनेसे वायुमंडलमें उपस्थित हानिकारक कीटाणुओंका नाश होता है । सूर्योदयकी प्रथम किरणमें अत्यंत शक्ति होती है । इसी प्रकार सूर्यास्तके समय भी सूर्यकी किरणोंमें एक विशेष प्रकार की शक्ति होती है । इन दोनों समयमें अग्निहोत्र करनेपर सूर्य किरणकी यह शक्ति हमारे घर और कृषिभूमिमें अधिक प्रमाण में पहुंचती है । सनातन हिंदू धर्ममें सर्वोपरि पूजनीय वेदों और ब्राह्मण ग्रंथोंमें यज्ञ/हवन/अग्निहोत्रकी क्या महिमा है ? इसकी छोटीसी झलक इन मन्त्रों में मिलती है-

अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्. होतारं रत्नधातमम्…….. [ ऋग्वेद 1/1/1/]
समिधाग्निं दुवस्यत घृतैः बोधयतातिथिं. आस्मिन् हव्या जुहोतन. ……..[यजुर्वेद 3/1]
अग्निं दूतं पुरो दधे हव्यवाहमुप ब्रुवे……… [यजुर्वेद 22/17]
सायंसायं गृहपतिर्नो अग्निः प्रातः प्रातः सौमनस्य दाता………. [अथर्ववेद 19/7/3]
प्रातः प्रातः गृहपतिर्नो अग्निः सायं सायं सौमनस्य दाता. ………[अथर्ववेद 19/7/4]
तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः ………[यजुर्वेद 31/9]
अस्मिन् यज्ञे स्वधया मदन्तोधि ब्रुवन्तु तेवन्त्वस्मान ……….[यजुर्वेद 19/58]
यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म ………..[शतपथ ब्राह्मण 1/7/1/5]
यज्ञो हि श्रेष्ठतमं कर्म …………[तैत्तिरीय 3/2/1/4]
यज्ञो अपि तस्यै जनतायै कल्पते, यत्रैवं विद्वान होता भवति [ऐतरेय ब्राह्मण १/२/१]
यदैवतः स यज्ञो वा यज्याङ्गं वा.. [निरुक्त ७/४]
इन मन्त्रोंमें निहित अर्थ और प्रार्थनाओंके अर्थ कुछ इस प्रकारसे हैं कि :-
– इस सृष्टिको रच कर जैसे ईश्वर हवन कर रहा है, वैसे मैं भी करता हूं ।
– यह यज्ञ धनोंका देनेवाला है, इसे प्रतिदिन भक्तिसे करो, उन्नति करो ।
– प्रतिदिन इस पवित्र अग्निका आधान मेरे संकल्पको बढाता है ।
– मैं इस हवन-कुंडकी अग्निमें अपने पाप और दुःख फूंक डालता हूं ।
– इस अग्निकी ज्वालाके समान सदा ऊपरको उठता हूं ।
– इस अग्निके समान स्वतन्त्र विचरता हूं,  कोई मुझे बांध नहीं सकता ।
– अग्निके तेजसे मेरा मुखमंडल चमक उठा है, यह दिव्य तेज है ।
– हवन-कुंडकी यह अग्नि मेरी रक्षा करती है ।
– यज्ञकी इस अग्निने मेरी धमनियोंमें प्राण डाल दिए हैं ।
– एक हाथसे यज्ञ करता हूं, दूसरेसे सफलता ग्रहण करता हूं ।
– हवनके ये दिव्य मन्त्र मेरी विजयकी उद्घोषणा हैं ।
– मेरा जीवन हवन कुंडकी अग्नि है, कर्मोंकी आहुतिसे इसे और प्रचंड करता हूं ।
– हे प्रज्ज्वलित हुई हवनकी अग्नि ! तू मोक्षके मार्गमें प्रथम चरण है ।
– यह अग्नि मेरा संकल्प है । पराजय और दुर्भाग्य इस हवन-कुंडमें भस्म(राख) बने पडे हैं ।
– हे सर्वत्र विस्तारित होती हवनकी अग्नि ! मेरी प्रसिद्धिका समाचार जन-जन तक पहुंचा दे !
– इस हवनकी अग्निको मैंने हृदयमें धारण किया है, अब कोई तिमिर(अंधेरा) नहीं ।
इन मन्त्रोंका सार यह है कि अग्निहोत्र/हवन/यज्ञ संसारका सर्वोत्तम कर्म और पवित्र कर्म है जिसके करनेसे सुख ही सुखकी वर्षा होती है ।
भगवान श्रीरामको रामायणमें स्थान स्थानपर ‘यज्ञ करने वाला’ कहा गया है और  महाभारतमें भी वृत्तांत मिलता है कि धर्म संस्थापक भगवान श्रीकृष्ण सर्व त्याग सकते हैं; किन्तु अग्निहोत्र नहीं ।
अर्थात् अग्निहोत्र एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कृति है । इसका केवल धार्मिक ही नहीं अपितु आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्त्व भी है ।अग्निहोत्र वर्षाका कारण, रेडियो-धर्मिता विकिरण नाशक और रोगनाशक भी है ।  इसपर संसार भरमें अनेक शोध हो चुके हैं ।
हवनमें डाली जानेवाली सामग्री (यह सामग्री आयुर्वेदके अनुसार औषधि आदि गुणोंसे बनी होती है और इसका शुद्ध होना आवश्यक है ) अग्निमें पडकर धूम्रके(धुएं) रूपमें वातावरणमें व्याप्त हो जाती है और रोगके कीटाणुओंका विनाश करती है ।
वैज्ञानिक शोधसे भी ज्ञात हुआ है कि हवनसे निकलने वाला धुआं वायुके माध्यमसे संक्रमण फैलानेवाले विषाणुओंको नष्ट कर देता है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठनके (WHO) अनुसार विश्वमें प्रतिवर्ष होनेवाली ५ कोटि ७ लक्ष(लाख) मृत्युमें से १.५ कोटि व्यक्तियोंकी मृत्यु वायुद्वारा संक्रमित विषाणुओंसे होती है ।

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि नियमित अग्निहोत्र करनेसे  विषाणुओंसे सम्बंधित ही नहीं अपितु अन्य कई रोगोंसे मुक्ति मिलती है जैसे :-

  • कफ अथवा शैत्यक(सर्दी)
  • सभी भांतिका ज्वर(बुखार)
  • मधुमेह (डायबिटीज/शुगर)
  • क्षय रोग या यक्षमा(टीबी)
  • शिरोवेदना(सिर-दर्द)
  • अस्थि दुर्बलता(कमजोर हड्डियां)
  • निम्न/उच्च रक्तचाप
  • अवसाद (डिप्रेशन)
  • मूत्र संबंधी रोग
  • श्वास/खाद्य नली संबंधी रोग
  • कर्करोग(कैंसर) आदि

अग्निहोत्रके और भी कई लाभ हैं । यह अग्निहोत्र विश्वको हम हिन्दुओंकी देन है और इसका हमें गर्व होना चाहिए । -तनुजा ठाकुर



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