सांसदोंके वेतन-भत्तोंपर चार वर्षोंमें व्यय हुआ १९.९७ अरबका शासकीय कोष (खजाना) !


अक्तूबर २, २०१८

गत चार वर्षोंमें लोकसभा और राज्यसभा सांसदोंके वेतन और भत्तोंपर शासकीय कोषका १९.९७ अरब रुपये व्यय किए गए ! ‘सूचनाके अधिकार’से यह उजागर हुआ है कि इस अवधिमें लोकसभाके प्रत्येक सांसदने प्रति वर्ष औसतन ७१.२९ लाख रुपयेके वेतन-भत्ते प्राप्त किए, वहीं राज्यसभा सांसदको प्रत्येक वर्ष औसतन ४४.३३ लाख रुपयेका भुगतान किया गया !
 
मध्य प्रदेशमें नीमचके रहने वाले ‘आरटीआई’ कार्यकर्ता चन्द्रशेखर गौडने बताया कि काफी प्रयखसोंके पश्चात उन्हें ‘सूचनाके अधिकार’के अन्तर्गत भिन्न-भिन्न आवेदनोंसे यह जानकारी मिली । लोकसभा सचिवालयसे मिली जानकारीके अनुसार, वित्तीय वर्ष २०१४-१५ से लेकर वित्तीय वर्ष २०१७-१८ के मध्य संसदके निम्न सदनके सदस्योंके वेतन और भत्तोंके भुगतानके लिए कुल १५ अरब ५४ कोटि २० लाख ७१,४१६ रुपये व्यय हुए ! लोकसभाके सदस्योंकी (५४३ निर्वाचित सदस्य और ‘एंग्लो इंडियन समुदाय’के दो मनोनीत सदस्य) संख्याके आधारपर गणना करें तो ज्ञात होता है कि इस अवधिके मध्य प्रत्येक वर्ष लोकसभा सांसदको औसतन ७१२९३९० रुपयेका भुगतान किया गया !

वहीं, राज्यसभा सचिवालयके अनुसार, उच्च सदनके सदस्यों वेतन और भत्तोंके रूपमें कुल ४ अरब ४३ कोटि ३६ लाख ८२९३७ रुपयोंका भुगतान हुआ ! राज्यसभाकी २५० की सदस्य संख्याके अनुसार देखें तो प्रत्येक एक सांसदके वेतन भत्तोंपर प्रत्येक वर्ष औसतन ४४३३६८२ रुपये व्यय किए गए !

इस बीच, सियासी और चुनावी सुधारोंके लिए कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’के (एडीआर) संस्थापक सदस्य जगदीप छोकरने मांग की है कि शासकीय कोषपर बढते भारके कारण इस भुगतानकी समीक्षा की जानी चाहिए । छोकरने कहा, “सांसदोंका वेतन भले ही दस गुणा बढा दिया जाए; लेकिन वेतनके अतिरिक्त न तो उन्हें किसी प्रकारका परिवर्तनीय भत्ता दिया जाना चाहिए, न ही घर, वाहन, भोजन, चिकित्सा, हवाई यात्रा, टेलीफोन और अन्य सुविधाओंपर उनके व्ययका भुगतान शासकीय कोषसे किया जाना चाहिए ।

 

“स्वतन्त्रताके पश्चात इस तथाकथित लोकतन्त्रकी स्थिति सबके समक्ष है, जिसका मूल्य प्रत्येक देशवासीने चुकाया है ! इससे स्पष्ट होता है कि हमारे तथाकथित नेता, जिनमें राष्ट्रप्रेम नहीं है, वे एक चलचित्रमें पैसे लेकर कार्य करने वाले नटोंसे भिन्न नहीं है !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : अमर उजाला



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


सूचना: समाचार / आलेखमें उद्धृत स्रोत यूआरऍल केवल समाचार / लेख प्रकाशित होनेकी तारीखपर वैध हो सकता है। उनमेंसे ज्यादातर एक दिनसे कुछ महीने पश्चात अमान्य हो सकते हैं जब कोई URL काम करनेमें विफल रहता है, तो आप स्रोत वेबसाइटके शीर्ष स्तरपर जा सकते हैं और समाचार / लेखकी खोज कर सकते हैं।

अस्वीकरण: प्रकाशित समाचार / लेख विभिन्न स्रोतोंसे एकत्र किए जाते हैं और समाचार / आलेखकी जिम्मेदारी स्रोतपर ही निर्भर होते हैं। वैदिक उपासना पीठ या इसकी वेबसाइट किसी भी तरहसे जुड़ी नहीं है और न ही यहां प्रस्तुत समाचार / लेख सामग्रीके लिए जिम्मेदार है। इस लेखमें व्यक्त राय लेखक लेखकोंकी राय है लेखकद्वारा दी गई सूचना, तथ्यों या राय, वैदिक उपासना पीठके विचारोंको प्रतिबिंबित नहीं करती है, इसके लिए वैदिक उपासना पीठ जिम्मेदार या उत्तरदायी नहीं है। लेखक इस लेखमें किसी भी जानकारीकी सटीकता, पूर्णता, उपयुक्तता और वैधताके लिए उत्तरदायी है।

विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution