भारतको ‘सनातन धर्म’के सिद्धान्तोंको पुनर्जीवित करना चाहिए ! – केरल, राज्यपाल, आरिफ खान
१० मई, २०२२
केरल राज्यके राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खानने कहा, “भारतमें उचित शिक्षाका प्रसारकर भारतकी प्राचीन संस्कृति और सनातन धर्मके सिद्धान्तोंको पुनर्जीवित करना आवश्यक है । इस दिशामें जानेका अर्थ पीछे जाना नहीं है; अपितु सनातन सिद्धान्तोंको पुनर्स्थापित करना है । यह बात शिक्षाके बिना सम्भव नहीं है ।’’ वे उत्तरप्रदेशके शाहजहांपुर जनपदमें एक निजी पाठशालाके उद्घाटनके समय बोल रहे थे ।
खानने आगे कहा –
१. स्वामी विवेकानंदजीने कहा था, “मानव जीवनका उद्देश्य ज्ञानप्राप्ति करना है और विनम्रता ज्ञानका परिणाम है । जिस व्यक्तिमें नम्रता होती है, उसे कोई भी नीचा नहीं दिखा सकता ।”
२. “भारत विविध समुदायोंका समूह है । यहां सर्व धर्माेंका आदर किया जाता है । हमारा देश सदा सत्य और अहिंसाका वाहक रहा है । यह बात सभीको ध्यानमें रखनी चाहिए ।”
३. “भारत एक ऐसा देश है, जहां इस्लाम, यहूदी (ज्यु) और ईसाइयोंके साथ किसी भी प्रकारका भेदभाव नहीं किया जाता । मदीनाके पश्चात भारतमें ही प्रथम ‘मस्जिद’का निर्माण किया गया था । वह भी एक हिन्दू राजाद्वारा निर्मित की गई थी ।”
राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खानका वक्तव्य पूर्णतया सत्य है; अकाट्य सत्य तो यह है कि भारतवर्ष सहित विश्वमें सनातन धर्मके सिद्धान्तों और गूढ आयामोंके प्रति पुनर्जाग्रति व्यापक रूप ले चुकी है; यह शुभ संकेत है । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
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