यदि एक भी लेख मात्र अंग्रेजीमें डाल देती हूं तो कुछ व्यक्ति, जिन्हें विशेषकर अङ्ग्रेजी नहीं आती, वे अपनी तीक्ष्ण शब्दोंमें अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं और कहते हैं कि संस्कृतनिष्ठ हिन्दी सीखनेके लिए कहती हैं तो अङ्ग्रेजीमें क्यों लिखती हैं ? ईश्वरीय कृपासे ५० से अधिक देशोंके लाखों लोग मेरे लेखोंको प्रतिदिन पढते हैं । मुझे उन सभीका विचार करना होता है; क्योंकि मेरी मित्र सूचीमें सभीको हिन्दी नहीं आती है, वैसे तो आपने देखा होगा कि अधिकतर मैं हिन्दीमें ही लिखती हूं और कई बार दोनों भाषामें समय अभावके कारण लिखना सम्भव नहीं होता; अतः तुरन्त किसीके विषयमें पूर्वाग्रह न बनाएंं, दूसरोंकी परस्थितिको समझना और सभीका हित सोचना साधना ही है !
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