केरलके ‘मौलाना’ने ‘जन्नत’की ‘हूरों’को बताया ‘अल्लाह’द्वारा वासनापूर्तिका साधन
२३ नवम्बर, २०२१
केरलके ‘मौलाना’ अबूबकर कासिमने मलयालममें वक्तव्य देकर, मुसलमान होनेके तथाकथित लाभ बताए । उसने बताया कि मुसलमानोंको ‘जन्नत’में क्या-क्या मिलता है ? इस मध्य वह यह भी कह बैठा कि ‘जन्नत’में बडे-बडे स्तनोंवाली परियां मिलती हैं । महिलाओंके लिए इस प्रकार आपत्तिजनक भाषाके प्रयोगसे उनका विरोध हो रहा है । ‘ईपी’ अबूबकर कासमीने अपने वक्तव्यमें बताया कि ‘जन्नत’में मदिराकी नदियां बहती हैं और बडे-बडे भवनोंके साथ-साथ उद्यानोंकी सुविधा भी मिलती है । अबूबकरके अनुसार, ‘अल्लाह’की ‘जन्नत’में महिलाएं मल-मूत्र तथा शौच आदिसे मुक्त होती हैं तथा मुसलमानोंको वहांकी ‘हूरों’की गोदमें बैठनेका सौभाग्य प्राप्त होता है । महिला विरोधी वक्तव्योंके कारण ‘मौलाना’ विवादोंमें हैं; किन्तु केरलके नेता इसपर अब भी प्रतिक्रिया नहीं दे रहे । उसने यह भी बताया कि ‘जन्नत’में ‘अल्लाह’ने मदिराकी एक नदी बना रखी है, जिसमें वहां रहनेवालोंको ‘तैरने’की पूरी अनुमति है । वहांपर मदिरा पीनेपर कोई प्रतिबन्ध नहीं है । सामान्यतः इस्लाममें मदिराको ‘हराम’ माना जाता है और इसे न पीनेका उपदेश दिया जाता है ।
‘मौलाना’ ‘ईपी’ अबूबकरने ये भी बताया कि ‘जन्नत’में मदिराकी आपणियोंके बाहर लम्बी पङ्क्तियां नहीं लगानी पडती; क्योंकि सब कुछ निःशुल्क मिलता है और उसकी मात्रा असीमित होती है और ‘जन्नत’की ‘हूरों’के पास सोचने-समझनेकी शक्ति भी नहीं होती ।
जिस ‘मजहब’के ‘मौलाना’ ही वासनाओंसे परिपूर्ण हों, अपने अनुयायियोंको वासनाओंके गर्तमें ढकेलनेके लिए विभिन्न उपायोंद्वारा उकसाते हों, अपने ‘अल्लाह’को अमृतके स्थानपर मदिराका निर्माता बताते हों, उनका पतन उन्हींके द्वारा ही निश्चित होगा । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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