यूरोप धर्मप्रसार संस्मरण २०१९


धर्म प्रसार करते समय अनिष्ट शक्तियोंद्वारा कैमरेपर आक्रमण होनेके कारण उसका बन्द होना एवं आध्यात्मिक उपचारपर उसका पुनः ठीक हो जाना
   यूरोप यात्रामें मैं एक सितम्बर २०१९ को धर्मप्रसार हेतु इटलीसे ऑस्ट्रियाके सल्जबर्ग महानगरमें गई । ऑस्ट्रियाके एक साधककी इच्छा थी कि मैं उनके पुत्रीके नूतन घरपर रुकूं, उसके पश्चात ही वे अपने घरमें रहना आरम्भ करें ! मैं उनकी इच्छाका मान रखने हेतु उनकी पुत्रीके घरपर रात्रि निवास हेतु गई । अगले दिवस सल्जबर्गके मन्दिरमें प्रवचन था । मैंने वहांके कार्यक्रम हेतु अपना कैमरा ‘चार्ज’ करने हेतु लगाया; किन्तु कुछ ही मिनिटके पश्चात कैमरेसे कुछ भिन्न प्रकारके स्वर आने लगे, जोकि कभी नहीं आए थे । मैंने सोचा कि सम्भवतः कुछ ‘वोल्टेज’ परिवर्तित होनेके कारण होगा या ‘चार्जिंग’ पूर्ण हो गई होगी; किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं था । वह कैमरा दो घण्टे ‘चार्ज’ होनेपर मन्दिरमें अकस्मात बन्द हो गया और वह पुनः पूरे यूरोपके यात्राके मध्य चालू नहीं हुआ । एक-दो कैमरा सुधारने वालेको दिखाया तो उन्हें भी कुछ समझमें नहीं आया । अगले दिवस उसी घरमें प्रातः मेरे चलित संगणकमें (लैपटॉपमें) भी कुछ समस्या आ गई एवं मुझे त्वरित भान हुआ कि यह अनिष्ट शक्तियोंने किया है; अतः मैंने नामजपकर उसके ऊपर कवच डाला; किन्तु उसमें भी सेवा करते समय बहुत बाधाएं आने लगीं । तीसरे दिवस इस्त्री करते समय उसमें भी समस्या आने लगी और मैंने त्वरित उसे बन्द किया । वैसे तो उस घरमें घुसनेपर ही मुझे तीव्र कष्टका भान हुआ; क्योंकि एक तो उसमें अनिष्ट शक्तियां थीं और दूसरी बात थी कि गृह सज्जाके लिए जिन रंगों एवं अन्य सामग्रियोंका उपयोग किया जा रहा था, वे सब भी अत्यधिक राजसिक और तामसिक थीं, जो वास्तुको और कष्टप्रद बना रही थीं । मैं प्रथम रात्रि जब सोने गई तो उससे पूर्व मैं सर्व आध्यात्मिक उपचार और नामजप करके सोई थी और यद्यपि वहां अत्यधिक ठण्ड होती है; इसलिए मैं रात्रिमें खिडकीके द्वार अच्छेसे लगाकर सोई थी; किन्तु अकस्मात मेरे सोनेके एक घण्टे पश्चात मुझे अत्यधिक ठण्ड लगने लगी तो मैंने नेत्र खोलकर देखा तो रात्रिके साढे बारह बज रहे थे । मैंने पाया कि खिडकीका द्वार, जो अत्यधिक भारी था, वह भी खुला हुआ था । मैं समझ गई कि यह सब अनिष्ट शक्तियोंद्वारा मेरा ध्यान आकृष्ट करने हेतु किया गया है ।
  जब मैं भारत लौटी तो ‘लैपटॉप’ ठीक कराया; किन्तु उसमें वह समस्या आ ही रही थी और कैमरा भी बन्द पडा था तो मैंने दोनोंका सूक्ष्म विश्लेषण किया तो मेरे ये दोनों जड गुरुबन्धु (कैमरा और लैपटॉप) अनिष्ट शक्तिकी बेडियोंमें जकडे दिखे । मैंने दोनोंकी दृष्टि नारियलसे उतारी और अगले दिवससे कैमरा चलने लगा और ‘इंजीनियर’के प्रयाससे ‘लैपटॉप’ भी चलने लगा । वैसे यह आक्रमण प्रथम बार नहीं हुआ । हमारे धर्म प्रसारके उपकरणपर अनिष्ट शक्तियोंकी कुदृष्टि सदैव ही रहती है और मुझपर आक्रमण करनेमें असफल होनेपर ये दुष्ट शक्तियां मेरे इन गुरुबन्धुओंपर आक्रमण कर देती हैं । ऐसे ही अनेक बार मेरे भ्रमणभाष यन्त्रोंपर (मोबाइलपर) भी आक्रमण हो चुका है । इससे वे कितनी चतुर और दुष्ट प्रकृतिकी होती हैं ?, यह ज्ञात होता है ।


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