आयुर्वेद उपचार पद्धतिको अफ्रीकी देशोंमें ले जाएंगे – केन्याके पूर्व प्रधानमन्त्री रैला ओडिंगा


१४ फरवरी, २०२२
      भारतकी भूमिपर पाए जानेवाली जडी-बूटियों और औषधीय पेड-पौधोंका विश्व प्रशंसक बन रहा है । आयुर्वेदिक और प्राकृतिक पद्धतियोंसे देशमें हो रहे उपचारको अफ्रीकी देश भी अपनाना चाहते हैं । अफ्रीकी निर्धन देश आयुर्वेदको उपचार पद्धतिके रूपमें अपने देशमें प्रसार करना चाहते हैं । केन्याके पूर्व प्रधानमन्त्री रैला ओडिंगाने आयुर्वेदको केन्यामें श्रेष्ठ प्रकारसे प्रसारित करवानेके लिए इच्छा जताई है । उन्होंने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदीसे भी इसके लिए सहयोग मांगा है ।
      वस्तुत: केन्याके पूर्व प्रधानमन्त्री रैला ओडिंगा कई दिनोंसे अपनी बेटीके नेत्रोंके उपचारको लेकर चिन्तित थे । बेटीके नेत्रोंका प्रकाश निरन्तर जा रहा था । विश्वके कई देशोंमें उपचार करानेसे कोई लाभ नहीं मिला । यद्यपि, इसी मध्य उनको आयुर्वेद पद्धतिके विषयमें पता लगा । इसके पश्चात वह भारतके केरल राज्यमें बेटीका उपचार कराने पहुंचे । यहां पहुंचनेके पश्चात उनकी बेटीका उपचार आरम्भ हुआ । लगभग तीन सप्ताहके उपचारके पश्चात उनकी बेटीके उपचारको लेकर आशाकी किरण जाग्रत हुई । वास्तवमें, तीन सप्ताहके उपचारके पश्चात भी पूर्व प्रधानमन्त्रीकी बेटीके नेत्रोंका प्रकाश बढने लगा और उनको देखनेमें स्पष्टता प्रतीत होने लगी । तीन सप्ताहके उपचारके पश्चात उसके नेत्रोंके प्रकाशमें अत्यधिक सुधार हुआ । वे कहते है कि मेरे परिवारके लिए यह बहुत बडा आश्चर्य था कि हमारी बेटी लगभग सब कुछ देख सकती है ।
      ओडिंगाने कहा कि इन पारम्परिक औषधियोंके प्रयोगसे अन्ततः उनके नेत्रोंकी ज्योति आ गई और इससे हमें अत्यधिक आत्मविश्वास मिला । मैंने इस उपचार पद्धतिको (आयुर्वेदको) अफ्रीकामें लाने और चिकित्साके लिए हमारे स्वदेशी पौधोंका उपयोग करनेके लिए प्रधानमन्त्री मोदीके साथ चर्चाकी है ।
      आयुर्वेद जीवन जीनेका विज्ञान है । विलम्बसे ही सही; किन्तु समूचे विश्वको आयुर्वेदकी शक्तिका अब भान होने लगा है । उपरोक्त प्रसंग जिसका एक उदाहरण है । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 


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