ऋण मुक्तिके पश्चात भी नहीं रुक रही आत्महत्या, मध्यप्रदेशमें किसानने की आत्महत्या !


दिसम्बर २२, २०१८

मध्यप्रदेशके नवगठित कांग्रेस शासनके ऋण मुक्ति की योजनामें कथित रूपसे नहीं आनेके कारण खण्डवा जनपदमें ४५ वर्षके एक आदिवासी किसानने कथित रूपसे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । उसका शव शनिवार, २२ दिसम्बरको प्रातः लगभग ७ बजे उसीके खेतमें एक वृक्षसे रस्सीसे लटकता मिला !


पंधाना विधानसभा क्षेत्रके अस्तरिया गांवमें रहने वाले किसानके परिजनोंका आरोप है कि शासनकी ऋण मुक्तिके आदेशके पश्चात भी वह उसमें नहीं आ सका, क्योंकि राज्य शासनने ३१ मार्च २०१८ तकका ऋण छोडनेकी घोषणा की है । मृत किसानपर इस तिथिके पश्चातका राष्ट्रीयकृत और सहकारी बैंकोंका लगभग तीन लाख रुपयोंका ऋण था ।

पंधाना पुलिस थाना प्रभारी शिवेन्द्र जोशीने बताया, ‘‘अस्तरिया गांवके किसान जुवान सिंहका शव खेतके वृक्षपर लटका हुआ मिला ।’’ उन्होंने बताया कि घटनाकी जानकारी लगते ही पंधाना पुलिसने वहां पहुंच कर शवको शवपरीक्षणके (पोस्टमॉर्टमके) लिए भेज दिया है ।

जोशीने बताया कि इस सम्बन्धमें प्रकरण प्रविष्ट कर लिया गया है और जांच चल रही है । प्रकरणकी जांचके पश्चात ही यह ज्ञात होगा कि किसानने किस बातको लेकर आत्महत्या की है ।

मध्यप्रदेशके मुख्यमन्त्री पदकी सोमवारको शपथ लेनेके कुछ ही घंटे पश्चात कमलनाथने विधानसभा मतदान प्रचारके समय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधीद्वारा किए गए वचनके अनुरूप किसानोंके दो लाख रुपये तकके ऋणके लिए स्वीकृति प्रदान कर दी ।


इस आदेशमें कहा गया, ‘‘मध्यप्रदेश शासनद्वारा निर्णय लिया जाता है कि राज्यमें स्थित राष्ट्रीयकृत तथा सहकारी बैंकोंमें अल्पकालीन कृषि ऋणके रूपमें शासनद्वारा पात्रता अनुसार पात्र पाए गए किसानोंके दो लाख रुपए की सीमा तकका ३१ मार्च २०१८ की स्थितिमें शेष कृषि ऋण क्षमा किया जाता है ।’’ राजोराके अनुसार शासनके इस निर्णयसे प्रदेशके लगभग ३४ लाख किसान लाभान्वित होगें तथा प्रदेशपर ३८ सहस्र कोटिका सम्भावित व्यय पडेगा !

 

 

“शासनद्वारा वोटबैंकके लिए प्रदत्त ऋण मुक्तिने (चाहे वह कृषि हेतु हो या व्यापार) एक कोढका कार्य किया है । शासनको अपना कर्तव्य पालन करना चाहिए । किसानोंको जैविक कृषिका ज्ञान, उत्तम बीज, उत्तम उर्वरक व अन्य सहायता प्रदान करनी चाहिए थी, परन्तु आज तक वह नहीं किया, वरन् स्वदेशी कृषिको छोड रासायनिक उर्वरकोंका प्रचार किया गया और जब ऋण बढा तो वोटके नामपर छूट दी गई ! इससे ज्ञात होता है कि हमें मूल तक जाकर सुधार करनेकी आवश्यकता है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : जी न्यूज



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