राजस्थानमें गाजी फकीरकी अन्तिम यात्रामें ‘कोरोना’ नियमोंकी अनदेखीकर एकत्रित हुई अधिक जिहादी भीड
२८ अप्रैल, २०२१
राजस्थानके जैसलमेरमें सामानान्तर सत्ता चलानेवाले गाजी फकीरकी मत्यु हो गई, जिसके पश्चात उसकी अन्तिम यात्रामें अधिक भीड देखनेको मिली । राजस्थान शासनने स्वीकार किया है कि राज्यके चिकित्सालय ‘ऑक्सीजन’की न्यूनतासे जूझ रहे हैं, उसके पश्चात भी ‘कोरोना’के दिशानिर्देशोंका पालन नहीं कराया जा रहा । गाजी फकीर मौलवी भी था, ऐसेमें उसके अनुयायी भी सहस्रोंकी सङ्ख्यामें हैं, जिन्होंने भीड एकत्रित की ।
गाजी फकीरका पुत्र सालेह मोहम्मद राज्यमें अल्पसङ्ख्यक प्रकरणोंका मन्त्री है, ऐसेमें एकत्रित भीडकी निन्दा करना या इसके विरुद्ध कार्यवाही करना तो दूरकी बात, मुख्यमन्त्री अशोक गहलोतने निधनपर शोक प्रकटकर इतिश्री कर ली । प्रसारित दृश्यपटमें देखा जा सकता है कि कांग्रेस नेता रहे गाजी फकीरके घरके सम्मुख जिहादियोंकी भारी भीड एकत्र हुई है और उसे गाडनेकी पूर्वसिद्धता हो रही है ।
‘सरहदका सुल्तान’ कहलानेवाला गाजी फकीर सिन्धी मुसलमानोंका धर्मगुरु था, उसकी अन्तिम यात्रामें भीडके सामने पुलिसकर्मी भी मौन रहे । ८५ वर्षीय गाजी फकीरके परिवारमें उनकी पत्नी, ६ बेटे और ३ बेटियां हैं । देशद्रोह सहित अनेक आपराधिक प्रकरणोंमें आरोपी गाजी अनेक वर्षोंसे भारतीय गुप्तचर विभागकी पकडमें नहीं आ पाया; क्योंकि उसके विरुद्ध साक्ष्य ही नही मिले । पुलिस ‘हिस्ट्रीशीट’में उसका नाम १९६५ से ही आता रहा है; परन्तु कांग्रेसमें उसके वर्चस्वके कारण कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सका । पुलिस अधिकारी पंकज चौधरीने अन्वेषण आरम्भ किया तो उन्हें निलम्बित कर दिया गया ।
कांग्रेसकी राजनीति मुल्ला-मौलवियों और गाजीपर आरम्भ होकर, वहीं समाप्त हो जाती है । देशपर सङ्कट आए तो उन्हें इससे लेना-देना नहीं है । ऐसे दल राष्ट्रद्रोही ही कहलाते हैं । सभी हिन्दू इनका विरोध करें । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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