गंगाको एशियाके सबसे बडे ‘सीसामऊ’ नालेसे मिली मुक्ति !


नवम्बर २७, २०१८

एशियाके सबसे बडे व १२८ वर्ष प्राचीन नालेकी गंदगीसे गंगाको अन्ततः मुक्ति मिल गई । मंगलवार, २७ नवम्बरको भैरो घाटसे मोडा गया गन्दा नाला ‘जाजमऊ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट’तक पहुंच गया । इसके साथ ही ‘नमामि गंगे’की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना भी सफल हो गई है !

गंगाको निर्मल व स्वच्छ बनानेकी दिशामें बहुत बडी प्राथमिकताको सफलता मिली है । यह चुनौती भरा पग था, जिसे लेकर जल निगम व नमामि गंगेके अभियन्ता सांसतमें थे । पहले इस नालेसे १४ कोटि लीटर गन्दा नाला गंगामें गिरता था, परन्तु इसमेंसे ८ कोटि लीटर गन्दा नाला कुछ दूर पूर्व ही मोडकर ‘एसटीपी’ तक भेज दिया गया था । यह अलग बात है कि केवल ६ कोटि लीटर गंदगी गंगामें जानेसे रोकनेमें अभियन्ताओंकी इंजीनियरोंकी) श्वास फूल गई थीं, क्योंकि नालेका वेग किसी नहरके समान ही था । ढलानसे पम्प करके इसे ९.५ किलोमीटर दूर एसटीपी तक पहुंचाना बहुत कठिन कार्य था, क्योंकि जेएनएनयूआरएमकी पाइप लाइनके साथ ही राहमें अंग्रेजोंके समयका डॉट नाला भी है !

 

“निस्सन्देह मन्त्री नितिन गडकरीजी इसमें अभिनन्दनके पात्र है । अब शासन शेष नालोंको भी गंगामें गिरनेसे रोककर देवनदी व हिन्दुओंके इस आस्था केन्द्रको स्वच्छ कर इसे पुनः इसके निर्मल रूपमें लाए, ऐसी सभी हिन्दुवादियोंकी अपेक्षाएं है ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : लाइव हिन्दुस्तान



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