गर्भपात एक महापाप क्यों (भाग -१)


वर्तमानकालमें निधर्मी शिक्षण पद्धतिसे शिक्षित दम्पति बिना किसी झिझकके गर्भको चिकित्सकके पास जाकर बिना कोई गम्भीर चिकित्सकीय कारणके उसे नष्ट करवा देते हैं । आजके चिकित्सक भी इसी निधर्मी शिक्षण प्रणालीसे शिक्षित होनेके कारण वे भी ऐसा पाप धनके प्रलोभनमें करते हैं ।
आजकी युवा पीढी तो बिना विवाहके शारीरिक सम्बन्ध बनानेमें किंचित भी झिझकते नहीं हैं और वे भी इस सम्बन्धसे उपजे गर्भको निर्दयतासे नष्ट करवा देते हैं; इसलिए सोचा इस विषयपर भी समाजको जाग्रत करनेकी नितान्त आवश्यकता है । अतः इस लेखमालामें हमारे धर्मशास्त्र इस विषयपर क्या कहते हैं ?, यह बतानेका प्रयास करने जा रही हूं । कृपया नवदम्पति को भी इसके विषयमें धर्मशिक्षण दें !
पुराणोंमें बिना किसी चिकित्सकीय कारण गर्भपात करना, गम्भीर अपराधोंकी श्रेणीमें गिन जाता है ।
हमारे धर्मशास्त्रोंमें इसे जीव हत्याके पापसे भी बडा पाप माना जाता है । पुराणोंमें इसे गम्भीर अपराधोंकी श्रेणीमें गिना जाता है ।
पराशरस्मृतिके अनुसार ब्रह्महत्यासे भी बडा पाप है गर्भपात करवाना । इस पापका कोई प्रायश्चित नहीं हो सकता, यह महापापकी श्रेणीमें आता है ।
मनुस्मृति और अग्निपुराणके अनुसार जिस स्त्रीने अपनी इच्छासे गर्भपात करवाया है, उसकेद्वारा देखा हुआ अन्न भी किसीको नहीं खाना चाहिए । ऐसी स्त्रीसे बात करना भी पाप है ।



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