जुलाई ३०, २०१८
प्रदेशमें गायोंकी स्थिति किसीसे नहीं छिपी है । लोग इनके चारेके व्ययसे बचनेके लिए गायोंको निराश्रय छोडने लग गए हैं; लेकिन गायोंको लेकर राजस्थान शासनका प्रयास इनके लिए वरदान सिद्ध हो सकता है । राजस्थान शासन राज्यके सभी २८०० गौशालाओंमें बायोगैस संयन्त्र लगाने जा रही है । गौपालन विभागके निदेशक डॉ लालसिंहका दावा है कि संयन्त्र लगनेसे प्रत्येक गौशालाको प्रत्येक माह २५ लाख से अधिकका लाभ होगा । हर संयन्त्रपर १ कोटिका व्यय आएगा ।
डॉ लालसिंहने बताया कि इस परियोजनासे गौशालाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी, बल्कि संयन्त्र लगनेसे बिजली, गैस और उर्वरक भी बनेगी । विभाग २५ संयन्त्र इसी वर्ष लगा रहा है । ५ पर तो कार्य भी आरम्भ हो गया है । विशेष बात यह है कि संयन्त्रसे होने वाले लाभका ७० प्रतिशत शासन रखेगा । जबकि बाकी ३० प्रतिशत गौशाला रख पाएंगे । एक जैविक संयन्त्रसे प्रतिदिन २०० यूनिट बिजली, २०० किलो गैस और १० मिट्रिक टन उर्वरक बन सकेगी अर्थात जो गौमूत्र और गोबर किसी काम नहीं आता था, अब उससे राजस्थानके किसानोंको लाभ होगा । इसके साथ ही जो मिलावटी सब्जियां विपणिमें (बाजार) मिल रही है, उसमें भी बडा बदलाव देखनेको मिलेगा; क्योंकि राजस्थानमें जैविक उर्वरककी भी भारी कमी देखनेको मिलती है । इस संयन्त्रके लगनेके पश्चात १ लाख मिट्रिक टन जैविक उर्वरक बन सकेगी ।
संयन्त्रके लिए उन्हीं गौशालाओंको चुना गया है, जिनमें १ सहस्त्रसे अधिक गाय हों और साथ ही २५ बीघा भूमि हो । यद्यपि दो तीन गौशालाओंको जोडकर भी यह सुविधा दी जा रही है । डॉ. लालसिंहके अनुसार राजस्थानके लिए एक नई क्रान्ति सिद्ध हो सकती है । इससे न केवल गौशालाओंको लाभ होगा बल्कि प्रदेशमें जैविक उर्वरककी कमी भी पूरी होगी ।
दूसरी ओर गौपालकोंमें शासनके निर्णयको लेकर प्रसन्नताकी लहर है । गौपालकों और किसानोंका कहना है कि मल-मूत्रकी मात्रा ही गायमें सबसे अधिक होती है; लेकिन इसीका उपयोग सबसे अल्प या न के बराबर होता है; लेकिन जैविकगैस संयन्त्रसे गोबरका सही प्रयोग हो सकेगा । साथ ही इससे हमारी आयमें भी लाभ होगा ।
स्रोत : जी न्यूज
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