घरका वैद्य – पालक (भाग-१)


पालक ‘अमरन्थेसी’ कुलका फूलनेवाला पौधा है, जिसकी पत्तियां एवं तने शाकके रूपमें खाए जाते हैं । पालक शीतऋतुमें उत्पन्न होनेवाला शाक है तथा यह पालेको सहन कर सकता है; किन्तु अधिक उष्णता नहीं सह सकता है । इसमें जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाकमें (सब्जीमें) नहीं होते । यही कारण है कि पालक स्वास्थ्यकी दृष्टिसे अत्यन्त उपयोगी,  सर्वसुलभ  एवं  अल्प  मूल्यका शाक है । यह भारतके प्रायः सभी प्रान्तोंमें बहुलतासे सहज ही मिल जाता है ।
घटक : इसमें पाए जानेवाले तत्त्वोंमें मुख्य रूपसे ‘सोडियम’, ‘क्लोरीन’, ‘फॉस्फोरस’, लोहा, खनिज, लवण, ‘प्रोटीन’, श्वेतसार, ‘विटामिन – ए’ एवं ‘सी’ आदि उल्लेखनीय हैं । इन तत्त्वोंमें भी लोहा विशेष रूपसे पाया जाता है । इसके अतिरिक्त इसमें ‘विटामिन बी-१’, ‘बी-३’, ‘मैंगनीज’, ‘फोलेट’, ताम्बा, ‘पोटैशियम’ प्रचुर मात्रामें होते हैं; किन्तु ‘ऑक्जैलिक’ अम्लकी उपस्थितिके कारण ‘कैल्शियम’ उपलब्ध नहीं होता  है ।
पालकके कुछ स्वास्थ्य लाभ :
नेत्रोंके सुधारमें : पालक ‘विटामिन ए’, ‘बीटा कैरोटीन’, ‘ल्यूटिन’ और ‘जेंथिने’का एक समृद्ध स्रोत है, जो कि दृष्टिके लिए लाभदायक होते हैं । पके हुए पालकद्वारा नेत्रोंमें ‘बीटा कैरोटीन’की आपूर्तिकी जाती है, यह नेत्रोंमें खुजली, नेत्रोंके अल्सर और नेत्रोंमें शुष्कता आदिको रोकता  है । पालकके कुछ गुणोंके कारण नेत्रोंकी जलन भी न्यून होती है ।
तन्त्रिका-तन्त्रमें लाभ : ‘पोटेशियम’, ‘फोलेट’ और विभिन्न ‘एन्टीऑक्सिडेंट’ आदि पालकके कई घटक हैं, ये लोगोंको ‘न्यूरोलॉजिकल’ कष्टोंमें लाभ प्रदान करते हैं, जो इसे नियमित रूपसे उपभोग करते हैं । ‘न्यूरोलॉजी’के अनुसार, उनकी ‘अल्जाइमर’के रोगके कारण ‘फोलेट’ कम हो जाती है । इसलिए पालक उन लोगोंके लिए बहुत अच्छा स्रोत है, जो तन्त्रिका या संज्ञानात्मक गिरावटके उच्च आशंकावाले (जोखिमवाले) लोग हैं ।


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