घरका वैद्य – सम्मोहन चिकित्सा (हिप्नोटिस्म) (भाग – १)


अचेतनको जाग्रत करनेकी कला
सम्मोहन या ‘हिप्नोटिस्म’ एक ऐसा शब्द है, जो बहुत ही जिज्ञासा और आश्चर्य प्रकट करता है ।  भारतमें भले ही इसे चमत्कारके समान देखा जाता हो; किन्तु विदेशोंमें इसपर बहुत शोध हो रहे हैं । सम्मोहनको विज्ञानसे जोडनेका कार्य ऑस्ट्रियाके फ्रांस-मेस्मरने किया था, जबकि ‘हिप्नोटिस्म’को डॉ. जेम्स ब्रेड १९ वीं शताब्दीमें इस शोधके लिए सामने लाए थे ।
   कुल मिलाकर सम्मोहन वह कला है, जिसकेद्वारा मनुष्यको उस अर्ध-चेतनावस्थामें लाया जा सकता है, जो समाधि या स्वप्नावस्थासे मिलती-जुलती है; किन्तु मनुष्यकी कुछ या सब इन्द्रियां उसके वशमें रहती हैं । सम्मोहनकर्ताके सुझावोंपर वह बोल, चल और लिख सकता है । गणना कर सकता है तथा जाग्रत अवस्थाके सब कार्य कर सकता है ।
  मानव मनकी मुख्यतः दो स्थितियां होती हैं एक, चेतन मन और दूसरी, अचेतन मन ।
   अचेतन मनको, चेतन मनकी अपेक्षा अधिक स्मरण रहता है और यह सुझावोंको भी ग्रहण करता है । सम्मोहनके मध्य व्यक्तिका चेतन मन तन्द्रामें चला जाता है, जबकि अचेतन मन सम्मोहनकी प्रक्रियाका पालन करता है । चेतन मनका सोना और अचेतन मनका जागना तो नींदमें भी होता है; किन्तु नींदमें हमारा चेतन मन अपने आप सोता है, जबकि सम्मोहनमें यह कार्य बाहरसे होता है ।
   सम्मोहनमें सम्मोहनकर्ता किसी व्यक्तिके चेतन मनको तन्द्रामें लाकर अचेतन मनको बाहर लाता है और उसे दिए गए सुझावोंके अनुसार कार्य करनेके लिए सिद्ध करता है । दूसरे लोगोंको सम्मोहित करनेके अतिरिक्त व्यक्ति स्वयंको भी सम्मोहित कर सकता है । हर व्यक्तिकी सम्मोहित करनेकी पद्धति समान नहीं होती ।
     वैज्ञानिक रूपसे १८वीं शताब्दीके मध्यमें वियनाके (ऑस्ट्रियाके) एक चिकित्सक फ्रांस ए. मेस्मरने सम्मोहनपर अध्ययन आरम्भ किया, यद्यपि उन्हें कुछ सफलता भी मिली; किन्तु कुछ समय पश्चात उनकेद्वारा दिए गए सिद्धान्त अयोग्य निकले । सम्मोहनके अन्तर्गत कालान्तरमें जो सिद्धान्त स्वीकार किए गए, वे मेस्मरके स्थानपर फ्रांसके दो अन्य चिकित्सकों ‘लीबाल्ट’ और ‘वेर्नहाइम’ने प्रतिपादित किए ।
    सम्मोहनका मूल तत्त्व प्रेरणा या सकारात्मक सुझाव है, जो सम्मोहनकर्ताद्वारा सम्मोहित किए जानेवाले व्यक्तिको दिए जाते हैं । साधारण जीवनमें भी तो हम किसी-न-किसी प्रेरणा या सुझावके प्रभावमें रहते ही हैं । कई बार हम दूसरोंको हंसते देखकर हंसने लगते हैं । किसीको रोते देख उदास हो जाते हैं । किसीको आलस्यमें देख स्वयं भी आलस्य अनुभव करने लगते हैं । सम्मोहनमें यह प्रभाव कुछ अधिक हो जाता है, जिसमें व्यक्ति किसी आज्ञाके पालनके समान सम्मोहनकर्ताका कहना मानता है ।


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