घरका वैद्य – बथुआ (भाग-४)


पथरी : १ गिलासभर कच्चे बथुएके रसमें शक्कर मिलाकर प्रतिदिन पीनेसे पथरी गलकर बाहर निकल जाती है ।

बथुएके गुण अम्लपित्त (एसिडिटीको) दूर करे : वात (Gastric) और अम्लताको (Acidity) न्यून करनेकी क्षमता बथुएके पत्तोंमें विद्यमान रहती है; क्योंकि यह मलबद्धताको (‘कब्ज’को) ठीक करनेमें सहायता करता है और हमारे पाचन तन्त्रको स्वस्थ्य रखता है । पाचन व्यवस्थाको ठीक रखनेके कारण यह ‘गैस्ट्रिक’ और अम्लताके निर्माणको रोकता है । बथुएमें अम्लतारोधी (Anti-acidic) यौगिक होते हैं, जो अम्लताकी समस्याको न्यून करनेमें सहायता करते हैं । बथुआ अशक्त पाचनके कारण होनेवाली पीडासे भी छुटकारा दिलानेमें सहायता करता है ।

मासिक धर्मके समय बथुएके बीजके लाभ : यदि कोई महिला अनियमित मासिक-धर्मचक्रसे पीडित है तो उसके लिए बथुएके बीजका उपयोग प्रभावी औषधि निर्माण करनेमें किया जा सकता है । बस १० ग्राम बथुएके बीजका चूर्ण और १० ग्राम सूखे अदरकका चूर्ण (सौंठका पाउडर) लें ! उन्हें ५०० मिलीलीटर पानीमें मिलाएं और उबाल लें ! यह मिश्रण १०० ग्राम बचनेपर इस मिश्रणको किसी बोतलमें सुरक्षित रखकर कुछ दिनोंतक इसे दिनमें दो बार सेवन करें ! इस औषधिका सेवन करनेसे आपको निश्चित रूपसे मासिक-धर्मचक्रोंको नियमित करनेमें कुछ सुधार दिखाई देगा ।

बथुएके लाभ प्रसवोत्तर सङ्क्रमणको रोके : कुछ महिलाएं अपने बच्चेको जन्म देनेके पश्चात सङ्क्रमणग्रस्त हो जाती हैं, ऐसी महिलाओंमें, प्रसवोत्तर संक्रमणके (Postpartum Infections) प्रभावको न्यून करनेकेलिए बथुएके बीजका उपयोग कुछ अन्य औषधीय बीजों जैसे अजवाइन और मेथीके बीज आदिके साथ मिलाकर किया जाता है तो यह मिश्रण महिलाओंमें होनवाले सङ्करमणको न्यून करनेमें सहायता करता है ।

बथुएका रस गठियाके उपचारमें :’एंटी-इन्फ्लामेट्री’ (anti-inflammatory) गुणोंके कारण बथुएका उपयोग गठियाके उपचारमें उपयोग किया जाता है । बथुआ गठियाकी ‘सूजन’को दूर करनेका प्रभावी उपचार होता है । पोरोंकी (जोडोंकी) पीडा और गठियासे छुटकारा पानेके लिए अल्पाहारसे पहले बथुएके पत्तोंका २ से ३ चम्मच रसका सेवन करना चाहिए । यह गठियाके लिए बहुत ही प्रभावी और लाभकारी है ।



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