* केश :
– इसकी जड और पत्तोंके क्वाथसे बाल धोनेसे केशोंपर काला रंग उत्पन्न हो जाता है ।
– काले तिलोंके तेलको शुद्ध अवस्थामें केशोंमें लगानेसे, केश (बाल) असमय श्वेत नहीं होते । प्रतिदिन सिरमें तिलके तेलसे मर्दन (मालिश) करनेसे केश सदैव कोमल, काले और घने बने रहते हैं ।
– गंजेपनमें जब सिरके केशोंमें रूसी पड गई हो, तब तिलके पुष्प तथा गोक्षुर, समान मात्रामें लेकर, घी तथा मधुमें पीसकर सिरपर लेप करनेसे गंजापन दूर होता है ।
* खांसी :
– तिल्लीके, १०० ग्राम काढेमें दो चम्मच शर्करा डालकर पीनेसे खांसीमें लाभ होता है ।
– तिल और मिश्रीको औटाकर पिलानेसे सूखी खांसी मिटती है ।
* जठराग्नि : तिलके सेवनसे जठराग्नि प्रदीप्त होकर मेधा बढती है । इससे बुद्धि, स्मरण शक्ति तथा ग्रहण शक्ति बढती है ।
* अर्श :
– अर्शमें, तिलको जलके साथ पीसकर, मक्खनके साथ दिनमें तीन बार, भोजनसे एक घण्टा पूर्व चाटनेसे लाभ होता है । रूधिरका निकलना बन्द हो जाता है ।
– तिलको पीसकर, तपाकर अर्शपर पुल्टिसकी भांति बांधना चाहिए ।
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