घरका वैद्य : चन्दन (भाग-१)


चन्दन एक औषधि है । सुगन्धित तथा शीतल होनेसे यह मनुष्यको आनन्द प्रदान करती है । चन्दनके वृक्ष हरे रंगके और ६ से ९ ‘मीटर’ ऊंचे होते हैं । इसकी टहनियां झुकी हुई होती हैं । चन्दनके पेडकी छाल रक्तवर्ण, भूरे  अथवा भूरे-काले रंगकी होती है । चन्दनके पत्ते अण्डाकार और मृदुल होते हैं । पत्तोंके अग्रभाग नुकीले होते हैं । चन्दनके पुष्प भूरे-बैंगनी या जामुनी रंगके होते हैं, जो गन्धहीन होते हैं । इसके फल गोलाकार एवं मांसल होते हैं, जो पकनेपर श्यामल या बैंगनी रंगके हो जाते हैं । इसके बीज कठोर, अण्डाकार अथवा गोलाकार होते हैं ।

चन्दनके वृक्ष प्रायः २० वर्षोंके पश्चात ही बडे होते हैं । पेडके भीतरका भाग हलके पीले रंगका और सुगन्धित होता है । पुराने वृक्षोंकी छाल कटी-फटी होती है । चन्दनका वृक्ष ४० वर्षकी आयुके  पश्चात उत्तम सुगन्धवाला हो जाता है । चन्दनके वृक्षमें पुष्प जून और सितम्बर माहके मध्य लगते हैं और फल नवम्बर माहसे फरवरी माहतक ही होते हैं । ऐसी अवस्थामें चन्दन पूर्णतया उपयोग करने योग्य हो जाता है ।

* चन्दनके पेडकी कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं : उडीसामें उत्पन्न होनेवाला चन्दन सर्वोत्तम माना जाता है । यवन देशोंका चन्दन गुणवत्ताविहीन होता है । पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि स्थानोंमें होनेवाला चन्दन न्यूनतम गुणवत्तावाला बताया गया है । गन्धके विचारसे उडीसाका चन्दन प्रथम श्रेणीमें रहा है ।



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