अगस्त २७, २०१८
गोधरा काण्डमें विशेष न्यायालयने दो दोषियोंको दोषी मानते हुए आजीवन कारावासका दण्ड दिया, जबकि तीनको निर्दोष छोड दिया । साबरमतीका विशेष न्यायालय इसमें मुख्य निर्णय पहले ही सुना चुका है, जिसमें ११ को मृत्युदण्ड व २० को आजीवन कारावासका दण्ड दिया गया था ।
अहमदाबादके साबरमती बन्दीगृहमें बनाए विशेष न्यायालयमें २७ फरवरी, २००२ को ‘साबरमती एस -६’में सवार ५९ कारसेवकोंको जीवित जला देनेके प्रकरणकी सुनवाई चल रही है । विशेष न्यायाधीश एचसी वोराने फारुख भाणा व इमरान शेरुको दोषी मानते हुए आजीवन कारावासका दण्ड सुनाया, जबकि हुसैन सुलेमान मोहन, कसम भामदी व फारुख धतियाको निर्दोष छोड दिया । लगभग दो वर्ष पूर्व सुलेमान मोहनको मध्य प्रदेशके झाबुआ से पकडा गया था, जबकि अन्यको गुजरातके दाहोद रेलवे स्टेशनपर धर दबोचा था ।
विशेष न्यायाधीशने वर्ष २०११ में गाेधरा हत्याकाण्डपर मुख्य निर्णय सुनाते हुए ३१ को दोषी बताया था, जिनमें से ११ को मृत्युदण्ड व २० को आजीवन करावासका दण्ड दिया, जबकि ६३ को साक्ष्योंके अभावमें छोड दिया था । यद्यपि अक्टूबर २०१७ में न्यायाधीश अनन्त दवे व जीआर उधवानीने निचली अदालतके निर्णयको परिवर्तित करते हुए ११ लोगोंके मृत्युदण्डको कठोर आजीवन कारावासमें बदल दिया था ।
“इतने जघन्य अपराधके पश्चात इन धर्मद्रोहियोंको केवल कारावास ! वाह रे, हमारे राष्ट्रकी महान न्याय व्यवस्था !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : दैनिक जागरण
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