ग्रामीण भागमें आज भी आयुर्वेद एवं जडी-बूटियोंका ज्ञान लोगोंको है । दो दिवस पूर्व पूज्य बद्री बाबाके अस्थि विसर्जन हेतु कुछ स्थानीय ग्रामीण हमारे साथ महेश्वर नगर गए थे । लौटते समय वे उपासनाके आश्रममें आए थे । उनमेंसे एक वृद्ध बाबा यहींके निकटके गांवके हैं । उन्हें जब गोशाला दर्शन हेतु ले गई तो उन्होंने हमारी एक बछियाको देखकर कहा कि यह तो झूलती है, इसे खैरका खूंटा लाकर उसमें बांधे ! उन्होंने एक और गोमाताके, जो थोडी अस्वस्थ है, उसके लिए कहा कि इसे टाटकी धूनी दिखाएं ! मैं उनके इस सहज ज्ञानको देखकर बहुत आनन्दित हुई ।
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