ग्रीष्म ऋतुमें क्यों करे तरबूजका सेवन


तरबूज जिसे संस्कृतमें कालिंग, षण्मुखा, गोडिम्बके नामसे जाना जाता है, ग्रीष्मकालमें शरीरको शीतलता प्रदान करनेका एक अति उत्तम स्रोत हैं | तरबूज मात्र एक स्वादिष्ट फल नहीं है; अपितु जल तत्वसे परिपूर्ण त्वरित ऊर्जा देनेवाला फल है । तरबूजमें ९६% जल होता है और यह तृष्णाको भी शान्त करता है । तरबूज खानेसे शरीरमें शीतलताका अनुभव होता है । तरबूजमें प्रचुर मात्रामें पोषक तत्त्व जैसे ‘विटामिन ए, बी, सी और ‘आयरन’के साथ ही ‘मैग्नीशियम’ और ‘पोटैशियम’ भी पाया जाता है ।
तरबूजकी उत्पत्ति बेलके रूपमें हुई । रेतीली भूमिमें तरबूजकी खेतीकी जाती है । यह एक ऐसा फल है जिसे सम्पूर्ण भारतमें उगाया जाता है । तरबूजके सेवनसे शरीरमें ‘लू’का प्रकोप भी न्यून हो जाता है और गर्मीकी व्याकुलतासे सुरक्षा होती है । ‘कार्बोहाइड्रेट’, ‘प्रोटीन’, ‘खनिज’ लवण, ‘फास्फोरस’ और ‘कैल्शियम’से युक्त तरबूज रक्त शुद्ध करनेके साथ पथरी, हृदय रोग और कर्करोग (कैंसर) जैसे रोगोंकी आशंकासे बचाता है । तरबूज शीतल, क्षारयुक्त, पित्तवर्धक, मूत्रवर्धक और कफ वायुनाशक होता है ।
तरबूजके उपयोगके भिन्न प्रकार एवं उससे होनेवाले लाभ
* तरबूज शक्तिवर्द्धक भी होता है ।
* भूख न लगती हो, उलटी जैसा मन हो या जी मचलता हो तो भोजनसे पहले पचास ग्राम तरबूजके रसमें मिश्री और नींबूका रस मिलाकर लेनेसे लाभ मिलता है !
* तरबूजके बीजोंकी गिरीको पानीके साथ पीसकर सिर पर लेप करनेसे शिरःशूल (सिरदर्द) दूर होता है ।
* पाण्डुरोगमें (पीलियामें) प्रतिदिन तरबूज खाने व रस पीनेसे बहुत लाभ होता है ।

* धूपके प्रकोपसे उत्पन्न विकृतियांको दूर करनेके लिए तरबूजका रस चेहरेपर मलें । चेहरा स्वच्छ व सुन्दर होता है ।
* गर्मियोंमें गरमाहटके प्रकोपसे मूत्रत्यागमें रूकावट होनेपर तरबूजका रस पीनेसे यह समस्या दू होती है । मूत्राशयसे संबंधित अनेक रोग-विकारको दूर करनेके लिए तरबूजके पचास ग्राम रसमें मिश्री मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन कीजिए ।
* तरबूजका सफेद रंगका गूदा पीसकर उसमें चन्दन और कपूर मिलाकर शरीरपर लेप करनेसे गर्मियोंसे उत्पन्न छोटे फुंसियां और तीव्र जलनकी समस्या दूर होती है ।
* तरबूजके रसमें उपलोंकी राख मिलाकर मंजनके समान मसूढोंपर मलनेसे खून निकलनेकी समस्या दूर होती है ।
* गर्मियोंमें तरबूजके रसमें सेंधा नमक और नींबूका रस मिलाकर पीनेसे लूके प्रकोपसे सुरक्षा मिलती है ।
* तरबूजको रातमें खुलेंमें रखें । प्रातः उठकर उस तरबूजका रस निकालकर शक्कर मिलाकर सेवन करनेसे मूत्रकी जलन और अवरोधकी समस्या दूर होती है ।
* तरबूज शरीरकी रोग प्रतिरोधक क्षमताको (इम्यून सिस्टम) अच्छा रखता है ।
* यह आंखोंके लिए भी अच्छा है ।
* खट्टी डकारें आनेपर तरबूजकी फांकपर काला नमक व काली मिर्च डालकर खाएं ।
* थकावटको दूर करनेके लिए तरबूजेके छिलकेको गूदेकी ओरसे पांवोंके तलवोंमें मलें ।
तरबूज खानेमें सतर्कता भी रखना चाहिए जैसे –
१. प्रातःकाल खाली पेट तरबूज नहीं खाना चाहिए । भोजनोपरान्त तरबूज खानेसे बहुत लाभ मिलता है ।
२. तरबूज खाकर तुरन्त पानी या दूध-दही या कोई अन्य पेय पदार्थ नहीं लेना चाहिए ।
३. अस्थमाके रोगियोंको तरबूजका रस नहीं पीना चाहिए ।
४. शीतप्रकोपसे (जुकामसे) पीडित होनेवाले स्त्री-पुरुषोंको तरबूज नहीं खाना चाहिए ।
५. तरबूज खानेके दो तीन घण्टेतक चावल न खाएं ।



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