जनवरी १६, २०१९
लोकसभा मतदान २०१९ को देखते हुए गुजरात शासन सोमनाथ मंदिरके निकटका क्षेत्र शाकाहारी क्षेत्र (वेजिटेरियन जोन) घोषित करनेकी तैयारी कर रही है । बताया जा रहा है कि शीघ्र ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी । निर्णय आते ही सोमनाथ मंदिरके क्षेत्रमें मांस और अंडा नहीं विक्रय हो सकेगा और न ही खाया जा सकेगा ।
हिन्दुओंने सोमनाथ मंदिरके आसपास विक्रय होनेवाले अंडों ओर मांसको प्रतिबन्धित करनेकी मांग की थी । प्रदर्शनके पश्चात जब मांग नहीं सुनी गई तो लोग शांत हो गए । अब शासनने उनकी मांग पूर्ण करनेका निर्णय लिया है । जनपदके अधिकारियोंकी मानें तो सोमनाथ मंदिरके परिधीय क्षेत्र अंडा और मांस नहीं विक्रय होगा । उन्होंने बताया कि इसकी परिधि तीन किलोमीटर निर्धारित की जा रही है ।
हिन्दू युवा संगठनके प्रतीक भुवाने कहा कि नगर निगमने मांसाहार प्रतिबन्धित करनेका जब प्रस्ताव पारित किया था, उसीके कुछ दिवसोंके भीतर ही दो दुकानोंको मंदिरके पास मांस विक्रय करनेकी अनुमति दी गई थी । हम लोगोंने इसका विरोध किया था; परन्तु कुछ नहीं हुआ । अब तीन बार भेंटके पश्चात विजय रूपाणीने सकारात्मक रवैया दिखाया था ।
अधिकारियोंने बताया कि सोमनाथ मंदिरसे सटे हुए पाटन गांवमें लगभग पचास मांसाहारकी दुकानें हैं ! इसके अतिरिक्त वहां ‘फिश और मटन’ विपणि भी है । जब सोमनाथ मंदिर जूनागढ जनपदका भाग था, तब मंदिरके पांच सौ मीटरकी सीमापर मांसाहार प्रतिबन्धित था ।
“देवालय सात्विकताका केन्द्र होते हैं तो एक हिन्दुवादी शासन होनेके पश्चात भी यह अधर्म कैसे होता रहा ? गुजरात शासनके पास इसकी कई बार याचिकाएं गईं और मतदान आते ही शासनने जो प्रतिबन्ध वर्षों पूर्व करना चाहिए था वह अब हो रहा है । निस्संदेह निर्णय प्रशंसनीय है; परन्तु निर्णयमें इतनी देरी अवश्य ही शंका निर्माण करती है कि क्या हिन्दू केवल एक वोट बैंकका रूप है ? और इससे यह भी बोध होता है कि मन्दिर शासन अन्तर्गत नहीं होने चाहिए व उसके समस्त निर्णय सन्तों व उस क्षेत्रके शंकराचार्यद्वारा ही लिए जाने चाहिए !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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