शिष्य में यदि पात्रता हो और वह यदि गुरु को छोडना भी चाहे तो गुरु उसे नहीं छोड़ते जैसे एक बिल्ली अपने बच्चे को मुंह में ले लें तो वह उसे नहीं छोडती !! संत कबीरदास जी ने कहा है गुरु मिलना फिर भी सरल है शिष्य मिलना अत्यधिक कठिन है ! अतः पात्रता बढ़ाएं गुरु स्वतः ही जीवन में आ जाएंगे !-तनुजा ठाकुर
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