भगवान श्रीकृष्णने गीताका ज्ञान, अर्जुनको ही क्यों सुनाई और अन्य किसी पांडव और कौरवको क्यो नहीं ?
क्योंकि गीताके संदेशको कृतिमें लानेका सामर्थ्य मात्र अर्जुनमें था ! ईश्वरीय ज्ञान पात्रता अनुसार प्राप्त होता है ! अर्जुनकी भक्ति श्रीकृष्णके प्रति यद्यपि सख्यभाव युक्त थी, परंतु वे श्रीकृष्णको गुरु रूपमें देखते थे और गुरु शिष्यके पात्रता अनुरूप ही ज्ञान देते हैं !
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान पश्यंती वाणी में कुछ क्षणों में दी ! वह तो संजय और महर्षि व्यास की साधना का प्रताप है की यह ज्ञान हम तक पहुँच पाया ! वाणी जितनी सूक्ष्म हो जाती वह unidimensional होती जाती है !
ईश्वरीय कृपा से जब मैं परम पूज्य गुरुदेव के पास गयी तो उन्होने भी पहली ही दृष्टि में मेरे शंकाओं का समाधान मौन से कर दिया और उस दिनसे मेरी और उनकी वार्तालाप अधिकांशतः सूक्ष्म से हुई ! यह उनकी कृपा थी ! -तनुजा ठाकुर
Leave a Reply