गुरु वन्दना


शोषणं भवसिन्धोश्च ज्ञापनं सारसम्पदः ।

गुरोः पादोदकं सम्यक् तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

अर्थ : जिनके चरणामृतका पान करनेसे हम जगतके सारभूत शाश्वत तत्त्वके ज्ञानसे अनुग्रहित हुए हैं, जो भवसागरको सुखा देते हैं, ऐसे श्रीगुरुके चरणोंमें हमारा नमस्कार है ।



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