घल्लूघारा दिवसः खालिस्तानी नारोंके मध्य श्री हरिमन्दिर साहिबमें कृपाण (तलवारें) निकली !


जून ७, २०१८

६ जून १९८४ के घल्लूघारेकी ३४वीं वर्षगांठपर ‘श्री अकाल तख्त साहिब’में मनाया जाने वाला शहीदी समारोह तलवारों व खालिस्तानके ध्वज लहरा कर खालिस्तानके पक्ष तथा भारत सरकारके विरुद्ध ‘नारेबाजी’के साथ तनावपूर्ण स्थितिमें सम्पन्न हुआ ! इस अन्तरालमें इन संगठनोंके समर्थकोंकी ओरसे ‘श्री अकाल तख्त साहिब’पर हुल्लडबाजी करनेके प्रयासोंसे निपटनेके लिए पुलिस प्रशासन और शिरोमणि समितिके कार्यबलने काफी प्रयास किया ।

 

घल्लूघारेको सिख पन्थ कभी नहीं भुला सकता : ज्ञानी गुरबचन सिंह, ‘श्री अकाल तख्त साहिब’में शहीदोंकी स्मृतिमें रखे ‘श्री अखण्ड पाठ साहिब’के भोग लगाए गए और उसके बाद जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंहने पन्थके नाम सन्देशमें कहा कि घल्लूघारेको पन्थ कभी भी भुला नहीं सकता ! ज्ञानी गुरबचन सिंहने सरकारको कहा कि बरगाडीमें ‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’का अनादर करने वाले दोषियोंको बन्दी बनाकर सख्त दण्ड दे ! उन्होंने संगतसे विनती की कि वह ‘खण्डे बाण्टे’का अमृतपानकर पन्थक कुटुम्बका भाग बने ! उन्होंने संगतको सामाजिक कुरीतियोंसे बचनेकी भी विनती की । समागमके मध्य शहीदोंके कुटुम्बोंको जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी जगतार सिंह और शिरोमणि समितिके प्रधान गोबिन्द सिंह लौंगोवालने ‘सिरोपा’ देकर सम्मानित किया ।


पत्रकारोंके साथ वार्ता करते हुए सिमरनजीत सिंह मानने कहा कि सिखोंने सेनाके आक्रमणके समय अपने प्राण दे दिए; परन्तु ‘श्री दरबार साहिब’की शानको हानि नहीं पहुंचने दी ! उन्होंने कहा कि जत्थेदार गुरबचन सिंह पूर्व जत्थेदार हैं । वर्तमान जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मण्ड हैं । उनकी ओरसे भी खालिस्तानकी मांग की गई है ।

 

प्रार्थनाके पश्चात जब ‘श्री अकाल तख्त’के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंहने पन्थके नाम सन्देश देना आरम्भ किया तो वहां सिमरनजीत सिंह मानके समर्थकोंने शोरगुल आरम्भ कर दिया । खालिस्तानके पक्षमें नारे लगाते हुए कहा कि सन्देश बन्द करो ! ऐसेमें कुछ समयके लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई; किन्तु इसके पश्चात स्थिति उस समय और अधिक खराब हुई, जब सिमरनजीत सिंह मानने ‘श्री अकाल तख्त साहिब’के नीचे खडे होकर अपना भाषण देना आरम्भ किया तो श्री दरबार साहिबके चल रहे कीर्तन वाले ध्वनि -विस्तारक यन्त्रोंकी ध्वनिको तेज कर दिया गया । इस पर मान समर्थकोंमें बहुत बेचैनी पाई गई और उनके कुछ समर्थकोंने बाहर से ही ‘श्री अकाल तख्त साहिब’पर लगे यन्त्रोंको बन्द करनेके लिए ऊपर चढनेका प्रयास किया; लेकिन सफल नहीं हो सके । एक समर्थकने अपने बर्छेके साथ यन्त्रोंको तोडनेका प्रयास भी किया, परन्तु वहां उपस्थित एक सिंहने उसको रोक दिया ।

स्रोत : पंजाब केसरी



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