हरियाणाकी नौवींकी इतिहासकी पुस्तकमें कांग्रेसकी ‘तुष्टीकरण’ नीतिको बताया विभाजनका कारण
१२ मई, २०२२
हरियाणा विद्यालय शिक्षा समितिकी ओरसे इस शैक्षणिक सत्रमें जो पाठ्यपुस्तक जारी की गई है, उसमें देशके विभाजनके कारणोंमें एक कारण कांग्रेसकी ‘तुष्टीकरण’ नीतिको बताया है ।
विभाजनके पूर्वकी घटनाओंका उल्लेख करते लिखा है कि ‘मुस्लिम लीग’ कांग्रेसके मार्गमें बाधा डाल रही थी तो कांग्रेस ‘मुस्लिम लीग’से समर्थनकी अपेक्षा कर रही थी । १९१६ का ‘लखनऊ समझौता’ व १९१९ का ‘खिलाफत आन्दोलन’ व ‘गांधी-जिन्ना वार्ता’ कांग्रेसके ‘तुष्टीकरण’के उदाहरण थे ।
कांग्रेसको विश्वास हो गया था कि देशमें शान्ति व व्यवस्था स्थिर करनेके लिए विभाजन स्वीकार करना आवश्यक है । निरन्तर संघर्षसे कांग्रेस नेतृत्व थक चुका था । वहीं, कुछ नेता सत्तासुख भोगनेको लालायित थे ।
पुस्तकमें ‘आरएसएस’के संस्थापक हेडगेवार व वीर सावरकरका भी उल्लेख है । सावरकरको दो जन्मोंके लिए कारावासका दण्ड दिया गया था व उनपर कारागृहमें अनेक अत्याचार किए जाते थे ।
प्रो. जगबीरने कहा कि इतिहासको परिवर्तित करना आवश्यक था; क्योंकि पूर्वकी पुस्तकोंमें अंग्रेजों व मुगलोंपर अधिक ध्यान दिया गया था ।
हरियाणा शासनका सत्य इतिहास लिखनेका यह पग स्वागतयोग्य है । अभीतक छात्र सत्य इतिहाससे वंचित रहे हैं । सभी राज्योंमें इतिहासमें संशोधन किया जाए, जिससे छात्रोंको सत्य ज्ञात हो सके । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
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