जिस धर्मनिरपेक्ष भारतमें नित्य गोवंशका वध हो, मंदिरोंको विकासके नामपर तोडा जाता हो, आतंकी हमारे सैनिक बन्धुके साथ छद्म युद्ध कर उनके प्राण लेने हेतु उतारु रहे, जहां विद्यालय एवं महाविद्यालयमें हमारे धर्मग्रन्थोंको पाठ्यक्रमका भाग बनानेकी अनुमति न हो, जहां हिन्दू अमरनाथकी यात्रा निर्भय होकर न कर सके एवं कैलाश पर्वत रुपी तीर्पक्षेत्रमें जाने हेतु शत्रु राष्ट्र चीनसे अनुमति लेनी पडे, निर्दोष हिन्दुओं, हिदुत्वनिष्ठों व हिन्दू संन्यासियोंकी हत्या हो, ऐसा धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र हमें नहीं चाहिए ! इस तथाकथित धर्मनिरपेक्षताने हम हिन्दुओंको द्वितीय श्रेणीका नागरिक बनाकर रख दिया है ! और जब अपने ऊपर हुए आक्रमणका हम खुलकर विरोध करें तो हम सांप्रदायिक कहलाने लगते हैं ! इससे पहले कि यह एकमात्र हिन्दू बहुल देश, गांधीवादी एवं नेहरुवादी दुष्ट एवं आसुरी नीतियोंकी बलि चढकर एक अहिंदू राष्ट्र बन जाये, हे महारुद्र, इसे धर्म अधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र बनाने हेतु इस मृतवत हिन्दू समाजमें क्षात्रवृत्ति जाग्रत करें ! अब और अत्याचार सहन नहीं होता है !
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