१. हमारी पक्षपाती प्रसारवाहिनियां
आए दिन गिरिजाघरके पादरियोंद्वारा बाल यौनशोषणके वृत्त, वैश्विक स्तरपर प्रकाशित होते रहते हैं; किन्तु हमारी धर्मनिरपेक्ष प्रसारवाहिनियां इसपर मौन साधे रहती हैं ! इस स्थितिको परिवर्तित करने हेतु, इस तथाकथित धर्मनिरपेक्ष व्यवस्थाको हटाकर, धर्म सापेक्ष हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना करना अनिवार्य हो गया है; जहां प्रसारवाहिनियां प्रत्येक वृत्तको निष्पक्ष होकर उसकी सत्यताको दिखानेमें कभी कोई चूक नहीं करेंगी !
२. पदच्युत होनेके पश्चात शासकीय आवासको न त्यागनेवाले स्वार्थान्ध राजनेता
जिन राज्योंके मुख्यमन्त्री रहे राजनेताओंको यह सामान्यसा ज्ञान भी नहीं है कि शासकीय (सरकारी) पदको त्यागनेके पश्चात् शासकीय आवासको भी शीघ्र अति शीघ्र रिक्त करना चाहिए एवं उन्हें वहांसे निकालने हेतु न्यायालयको निर्देश देना पडता है, ऐसे राज्यकर्ताओंसे हम राष्ट्र और समाजकी उन्नतिकी अपेक्षा भी कैसे कर सकते हैं ? स्वार्थान्ध राजनेताओंसे भरी इस लोकतान्त्रिक व्यवस्थाको अब परिवर्तित कर राष्ट्र और धर्मके कल्याणका विचार करनेवाले कर्त्तव्यनिष्ठ, त्यागी प्रवृत्तिके राज्यकर्ताओंवाले हिन्दू राष्ट्रका निर्माण करना अति आवश्यक हो गया है । (४.८.२०१६)
३. आपराधिक चरित्रवाले मंत्रियोसे देशके उत्कर्षकी अपेक्षा है असम्भव
वृत्त प्रकाशित हुआ है कि वर्तमान केन्द्रीय मन्त्रीपरिषद्के ७८ मन्त्रियोंमेंसे २४ मन्त्रियोंके ऊपर आपराधिक प्रकरण चल रहे हैं अर्थात् कुल ३१प्रतिशतमन्त्री ऐसे हैं जिनके आपराधिक प्रकरण उद्घाटित हुए हैं । इनमेंसे १४ मन्त्रियोंके ऊपर हत्या, अपहरण, बलात्कार जैसे जघन्य अपराध करनेके सन्दर्भमें आपराधिक प्रकरण न्यायालयमें चल रहे हैं । हिन्दुओ ! ऐसे आपराधिक चरित्रवाले राज्यकर्ताओंसे आप, धर्म और राष्ट्रके उत्थानकी कल्पना भी कैसे कर सकते हैं ? ऐसी भ्रष्ट और दूषित प्रजातान्त्रिक व्यवस्थाके स्थानपर साधक प्रवृत्तिके त्यागी एवं उच्च आदर्शयुक्त राज्यकर्ताओंवाला हिन्दू राष्ट्र ही इस राष्ट्रके उत्थानका एकमात्र पर्याय है ।
४. क्या यही हैं अच्छे दिन ?
गृह मन्त्रालयकी ओरसे प्रकाशित ब्यौरेके अनुसार जम्मू-कश्मीरमें पिछले वर्ष ८२ सुरक्षाकर्मी मारे गए जो कि पिछले आठ वर्षोंमें सबसे अधिक हैं । क्या यही हैं अच्छे दिन ? क्या हमारे राज्यकर्ताओंके लिए हमारे देशके सुरक्षाकर्मियोंके प्राणोंका कोई मोल नहीं? इससे यह सिद्ध होता है कि चाहे किसी भी राजनीतिक दलका शासन हो, इस लोकतान्त्रिक देशकी स्थितिमें सुधार होना असम्भव है । इस स्थितिको परिवर्तित करने हेतु हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना ही एकमात्र पर्याय है । – तनुजा ठाकुर (३०.१.२०१७)
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