हिन्दू बहुल देशके विद्यालयोंमें हिन्दू धर्मका ज्ञान नहीं दिया जाता है, यदि ऐसा प्रयास कहींपर केन्द्रीय स्तरपर हो तो उसे साम्प्रदायिक कहकर न्यायालयतक इस घटनाको पहुंचा दिया जाता है । केन्द्रीय विद्यालयमें प्रार्थनाको लेकर चल रहा अभियोग, इस सम्बन्धमें एक उदाहरण मात्र है !; किन्तु कुकुरमुत्ते समान फैले हुए मदरसे एवं कान्वेंट विद्यालयोंमें इस्लाम और ईसाईयतकी घुट्टी पिलानेका शासनप्रदत्त अधिकार ही नहीं दिया जाता है, अपितु उन्हें सभी प्रकारके संरक्षण तथा आर्थिक सहायता दी जाती है !
ध्यान रहे, अभी तो मात्र ८ लाख हिन्दू प्रतिवर्ष अहिन्दू पन्थोंमें धर्मान्तरित हो रहे हैं, यदि यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं होगा, जब सम्पूर्ण भारतसे यह शाश्वत और दैवी धर्म लुप्त हो जाएगा, जैसे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंगलादेश इत्यादि देशोंमें हो चुका है !
इसे रोकने हेतु हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना अनिवार्य है एवं हिन्दू राष्ट्रमें बाल्यकालसे ही हिन्दू धर्म, उसके साहित्य एवं संस्कृत भाषाका ज्ञान दिया जाएगा और इसे सभीके लिए अनिवार्य भी किया जाएगा !
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