धर्मके ऊपर संकट द्वारतक आ चुका है तथापि हिन्दू निद्रिस्त हैं !


गलेतक पानी आ जानेके पश्चात मैं तैरना सीख रहा हूं, ऐसा कहनेवाला जीवित नहीं बचता, यही स्थिति हिन्दुओंकी होनेवाली है । अब हिन्दुओंका अस्तित्व समाप्त होनेकी स्थितिमें होते हुए भी हिन्दुओंको अंशमात्र भी चिन्ता नहीं । हिन्दुओ ! इस वृत्तिको परिवर्तित कर अब शेष बचे हुए १-२ वर्षोंके अल्प कालमें तो क्षात्रधर्म साधना सीख लें ! – परात्पर गुरु डॉ जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था



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