अगस्त २७, २०१८
छत्तीसगढमें मुस्लिम लडकेसे विवाहके प्रकरणमें उच्चतम न्यायालयमें सोमवारको लडकीने बताया कि विवाह धोखे से किया गया थी और वो अपने कुटुम्बके साथ रहना चाहती है । न्यायालयने इब्राहिम सिद्दीकीकी याचिका नकार दी है । सिद्दीकीका कहना था कि उसने विवाह करनेके लिए हिन्दू धर्म अपनाया था; लेकिन लडकीके परिजन और कट्टरपन्थी समूहने उन्हें अलग कर दिया था । जिसके पश्चात वह अपनी पत्नी से दूर रह रहा है । छत्तीसगढमें २३ वर्षकी एक हिन्दू लडकीसे विवाह करनेके लिए मुसलमान से हिन्दू बने ३३ वर्षीय एक व्यक्तिने अपनी प्रेमिकाको उसके माता-पितासे स्वतन्त्र करानेकी मांग करते हुए न्यायालय गया था । पिछली सुनवाईमें सीजेआई दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूडकी पीठने छत्तीसगढ शासन से उत्तर मांगा था और याचिकाकी प्रति राज्यके अधिवक्ताको देनेका निर्देश दिया था ।
न्यायालयने छत्तीसगढके धमतरीके पुलिस अधीक्षकको प्रतिवादी नम्बर ४, अशोक कुमार जैनकी पुत्री अंजलि जैनको २७ अगस्त, २०१८ को न्यायालयमें प्रस्तुत करनेका निर्देश दिया था । पीठने न्यायालयके अधिकारियोंको इस आदेशकी प्रति पुलिस अधीक्षकको भेजनेका निर्देश दिया था । बता दें कि हिन्दू बनकर ‘आर्यन आर्य’ नाम अपना चुके मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीकीने छत्तीसगढ उच्च न्यायालयके आदेशको उच्चतम न्यायालयमें चुनौती दी थी और कहा था कि उच्च न्यायालय उसकी पत्नीके परिवारको उसे मुक्त करनेका आदेश देने से मना कर चूक की है ।
इब्राहिमके अनुसार उसकी और उसकी पत्नी अंजलीके प्राणको अंजलीके परिजनोंसे भय है । उसकी पत्नीको उसके माता-पिता उसकी इच्छाके विरुद्ध स्वतन्त्रता से वंचित कर रहे है । उसे भी उसकी पत्नीके घरवाले और समाजके कुछ अन्य कट्टरपन्थी तत्व धमकी दे रहे हैं । उसने कहा कि उसकी पत्नीने उच्च न्यायालयमें कहा कि वह २३ वर्षकी है और व्यस्क है तथा अपनी इच्छासे उसने उससे विवाह किया है । उच्च न्यायालयने उसे अपने माता-पिताके साथ रहने या छात्रावासमें उसके रहनेकी व्यवस्था करानेका निर्देश दिया ।
“हिन्दू स्त्रियोंको यह कब ज्ञात होगा कि धर्मान्धोंकी वासना कुछ दिवसकी होती है, उसके पश्चात काफिरोंकी स्त्रियोंको फेंक दिया जाता है !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जी न्यूज
Leave a Reply