इंदौर स्थित मानपुरके उपासनाके आश्रममें कार्यरत श्रमिकोंमें साधकत्वके लक्षणोंकी जाग्रति होना (भाग-१)


नवम्बर २०१८ से इंदौरके मानपुरमें उपासनाके आश्रमका निर्माण कार्य आरम्भ हुआ । उस समयसे कुछ श्रमिक यहां अपनी सेवा दे रहे हैं एवं कुछ जब हम यहां रहने आए तो उन्होंने यहां कार्य करना आरम्भ किया । मैंने ऐसा पाया कि पिछले दो तीन वर्षोंमें जो लोग यहां कार्य कर रहे हैं उनमें बहुत सुखद परिवर्तन देखनेको मिल रहा है । जो मैं आपके साथ साझा करना चाहती हूं ! यह गुरुकृपा एवं इस स्थानका ही माहात्म्य है कि इनमें ये परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं । ये सभी श्रमिक आदिवासी एवं अल्पशिक्षित हैं; किन्तु उनमें जो सहज परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं, वह शिक्षितोंको भी बतानेपर दिखाई नहीं देते हैं । ईश्वरने मुझे ऐसे श्रमिकोंका कुटुम्ब दिया है; इसलिए कृतज्ञता स्वरूप मैं इसे आपके साथ साझा कर रही हूं ।

१. ये सब श्रमिक ‘दिहाडी’पर कार्य करनेवाले हैं अर्थात इनके आयके साधन सीमित हैं; किन्तु तब भी इनकी प्रवृत्ति सन्तोषी है । हमारे आश्रममें निर्माण कार्य चल रहा है तो स्वाभाविक ही है अनेक वस्तुएं परिसरमें रहती हैं; किन्तु आजतक कभी भी आश्रम परिसरमें कभी भी कुछ भी चोरी नहीं हुआ है । हमें परकोटेका कार्य मई २०१९ में करवाया; किन्तु निर्माण सामग्री नवम्बर २०१८ से यहां रखी हुई थी, तब भी न ही स्थानीय ग्रामीणोंने और न ही किसी भी श्रमिकने कभी चोरी की । हम तो यहां रहने २५ जनवरी २०२० में आए; किन्तु न पहले और न ही हमारे आनेके पश्चात कभी भी कुछ चोरी हुआ है । वैसे यह झारखंड स्थित गोड्डा जनपदमें जो आश्रम है और बिहार स्थित बांकामें जो आश्रम है, उनके निर्माण कार्यके मध्य भी हमारा यही अनुभव रहा । कभी-कभी लगता है कोई दैवी शक्ति इन स्थलोंका रक्षण करती है; इसलिए ऐसा होता है । जबकि कुछ उन्नतोंके आश्रममें चोरी हुई, ऐसा मैंने उन्हें कहते हुए सुना है या जिस ग्राममें हमारा आश्रम है, वहां भी आश्रम निर्माणके पश्चात चोरी हुई हैं; किन्तु हमारे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ है, इससे ही गुरुकृपासे क्या कुछ सम्भव नहीं है ? यह ज्ञात होता है ।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution