ईश्वर भक्तका सदैव रखते हैं ध्यान !


मुझे तीन वर्ष तीव्र स्तरका ‘साइनस’ था; किन्तु ईश्वरकी कृपासे कभी सिरमें वेदना नहीं हुई । कुछ चिकित्सकोंको आश्चर्य भी होता था । मेरी मुख्य सेवाएं बौद्धिक होती हैं, विशेषकर लेखनकार्यमें मनकी एकाग्रता चाहिए होती है । सिरमें वेदनाके पश्चात मुझसे बौद्धिक कार्य नहीं होता है । पितृपक्षमें अनिष्ट शक्तियोंके कष्टके कारण मुझे दो बार सिरमें तीव्र वेदना हुई तो ज्ञात हुआ कि यदि तीन वर्ष मुझे वेदना होती तो मैं कुछ भी नहीं कर सकती थी ! इसलिए सोचती हूं ईश्वर अपने भक्तका कितना ध्यान रखते हैं ? अर्थात उनका जो कार्य कर रहे हैं, उसमें व्यवधान न पडे, इसका भी वे विशेष रूपसे ध्यान रखते हैं ।



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