ईश्वरसे सतत अनुसन्धान बनाकर रखनेसे क्या लाभ होता है, इसके अनेक उदहारण मेरे पास हैं ! समाजमें धर्मजागृति एवं राष्ट्र रक्षणका अखण्ड रूपसे कार्य करनेके कारण सूक्ष्म स्तरपर आसुरी शक्तियोंका सतत आक्रमण होते रहता है | गुरुपूर्णिमासे एक दिवस पूर्व मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं था, मैं चाहकर भी उठ नहीं पा रही थी, प्रातः तीन बजे उठकर मैंने एक घंट जप करनेके पश्चात स्वास्थ्य ठीक न होनेपर भी दो घंटेसे सेवा की थी; किन्तु उसके पश्चात मैं जो बिछावनपर गिरी तो उठ ही नहीं पा रही थी, मैं नामजप करनेका प्रयास कर रही थीं, गुरुपूर्णिमा निमित्त बहुत सी सेवायें थी; किन्तु शरीरमें इतनी वेदना थी कि एक बार स्वयंसे एवं दो बार दो साधिकाओंसे मर्दन(मालिश) करनेपर भी कुछ भी विशेष लाभ नहीं हो पा रहा था ! तभी विचार आया (भगवानजीके सुझाया) अपना नारियलसे दृष्टि उतरवाओ, मैंने एक साधकको सारी प्रक्रिया बताकर उन्हें मेरी दृष्टि(नज़र) उतारने हेतु कहा और मात्र पांच मिनिटमें मेरी वेदना ९० % नष्ट हो गई और मैं उठकर अपनी सेवामें लग गई | पुनः कल (१७ जुलाई २०१९ के दिवस) पुनः दो बजेतक दोपहरतक मेरी आंखें खुल ही नहीं रही थी, मैं सोना नहीं चाहती थी किन्तु उठाकर बिअथ नहीं पा रही थी ! मैं सोचने लगी कि क्या करूं, इतनी सारी सेवाएं हैं, ऐसेमें लेटे रहनेसे तो नहीं सेवा नहीं हो पाएगी, तब भगवानजीने सुझाया बाबाका (हमारे श्रीगुरुके श्रीगुरु, परम पूज्य भक्तराज महाराजका) भजन लगाओ, आधे घंटेमें मेरे नेत्रपर जो भारी आवरण था, वह नष्ट हो गया और मैं उठकर थोडी बहुत सेवा कर पाई ! अर्थात प्रत्येक दिवस भिन्न प्रकारका युद्ध रहता है और उसका आध्यात्मिक उपचार भी भिन्न होता है ! १५ जुलाईके दिवस पृथ्वी और आप तत्त्वके माध्यमसे अध्यात्मिक उपचार किया तो लाभ मिला और १७ जुलाईको आकाश तत्त्वका उपचार करना पडा ! इसलिए साधकोंने ईश्वरीय अनुसन्धानमें रहेनेका प्रयास किया !
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