जुलाई २४, २०१८
अलवरमें गो-तस्करीकी शंकामें भीडद्वारा कथित रूपसे पिटाईके कारण एक व्यक्ति रकबर खानकी (२८) मृत्यु होनेके पश्चात भीडद्वारा हत्यापर (मॉब लिंचिंगपर) संसदसे लेकर सडक तक इस प्रकरणपर बहस हो रही है । इसमें ‘आरएसएस’ नेता इन्द्रेश कुमारने वक्तव्यमें कहा है कि यदि देशके लोग गौमांस (बीफ) खाना बन्द कर दें तो देशमें ‘मॉब लिंचिंग’की घटनाएं रुक जाएंगी ! ‘शिया वक्फ बोर्ड’के अधिकारी वसीम रिजवीने भी इन्द्रेश कुमारके वक्तव्यका समर्थन करते हुए कहा है, ”मुस्लिमोंको गौमांस खाना बन्द कर देना चाहिए । गोहत्या बन्द होनी चाहिए । इस्लाममें भी गायका मांस ‘हराम’ है । आप ‘मॉब लिंचिंग’को रोक नहीं सकते; क्योंकि प्रत्येक स्थानपर सुरक्षा नहीं की जा सकती; अतः ऐसा विधान बनाना चाहिए, जिससे गो-हत्या करने वालेको कडा दण्ड मिले ।”
इसके साथ ही वसीम रिजवीने यह भी कहा, ”इन्द्रेश कुमारका कथन महत्त्वपूर्ण है । किसीकी धार्मिक भावनाओंको आहत नहीं करना चाहिए । यदि गायकी हत्याके सम्बन्धमें विधान बन जाएगा तो ‘मॉब लिंचिंग’ रुक जाएगी । किसी समुदायने यदि किसीको मांका स्थान दिया है तो आप उसकी हत्या नहीं कर सकते !” उल्लेखनीय है कि ‘आरएसएस’के संगठन ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’के संरक्षक इन्द्रेश कुमारने यह भी कहा, ‘देशमें ‘मॉब लिंचिंग’का स्वागत नहीं किया जा सकता है; लेकिन लोग गायका मांस खाना बन्द कर दें तो इस तरहके अपराधोंपर रोक लग सकती है ।’
इससे पहले इन्द्रेश कुमारने कहा, ”किसी भी भीडकी हिंसा, वो आपके घरकी, मोहल्लेकी, जातिकी, दलकी हो, वो कभी अभिनंदनीय नहीं हो सकती, परन्तु विश्वके जितने भी धर्म हैं, उनके किसी धर्मस्थलपर बता दो कि गायका वध होता है !” इसके साथ ही उन्होंने कहा, ”ईसा (जीएसएस) धरतीपर गौशालामें आए; इसलिए वहां गायको मां बोलते हैं । मक्का-मदीनामें गायका वध अपराध मानते हैं । क्या हम संकल्प नहीं कर सकते कि मानवताको इस पापसे मुक्त करें ?, यदि मुक्त हो जाएं तो आपकी समस्याका (मॉब लिंचिंग) हल हो जाएगा ।”
इस मध्य मॉब लिंचिंगका प्रकरण मंगलवारको राज्यसभामें उठा और तृणमूल सहित विभिन्न दलोंके सदस्योंने ऐसी घटनाओंको रोकनेके लिए एक विधान बनाए जानेकी मांग की । शून्यकालमें तृणमूल कांग्रेसकी शान्ता क्षेत्रीने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस शासनके सत्तामें आनेके पश्चाते भीडद्वारा पीट-पीटकर मार डालनेकी घटनाओंमें लगभग ८८ लोग अपने प्राण दे चुके हैं और यह प्रकरण रूकनेका नाम नहीं ले रहा है । शान्ताने कहा कि उच्चतम न्यायालयने भी इसपर कहा है कि यह ठीक नहीं है और शासनको इसपर रोक लगानेके लिए एक विधान लाना चाहिए ।
उन्होंने शासनसे जानना चाहा कि ऐसी घटनाओंपर रोक लगानेके लिए और नियम बनानेके लिए क्या पग उठाए जा रहे हैं ? विभिन्न दलोंके सदस्योंने शान्ता क्षेत्रीके इस प्रकरणसे स्वयंको सम्बद्ध किया और शासनसे इस प्रकरणका शीघ्र समाधान निकालनेकी मांग की । सभापति एम वेंकैया नायडूने आशा दिखाई कि शासन इसको गम्भीरतासे लेगा । केन्द्रीय गृह मन्त्री राजनाथ सिंहने लोकसभामें इसपर कहा कि, इस बारेमें गम्भीरतासे सोच रहे हैं ।
स्रोत : जी न्यूज
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