साधको, जब सन्त कुछ आज्ञा दें या आदेश दें तो उसे प्राथमिकतासे पूर्ण करनेपर उस आज्ञामें निहित सन्तके सङ्कल्पके कारण, उस कृत्यको करने हेतु हमें शक्ति एवं ज्ञान स्वतः ही प्राप्त होते हैं । आज्ञापालन करनेके कारण मनोलय होता है एवं गुरुकृपा मिलती है ।
जब सन्त कुछ करने हेतु कहते हैं, तो हो सकता है कि उस समय हमें उसके पीछेका उद्देश्य समझमें न आए; किन्तु कुछ काल उपरान्त हमें वह समझमें आता है; इसलिए सन्तोंकी आज्ञाका अनावश्यक विश्लेषण करनेमें समय व्यर्थ न करें, अपितु उनकी आज्ञाका पालनकर उनके कृपापात्र बनें ।
बहुत समय बीत जानेपर या त्वरित आज्ञापालन न करनेपर अथवा उस आज्ञाका पालन करनेसे अनेक बार साधकोंको उसका लाभ नहीं मिलता है; अतः अपनी बुद्धिका उपयोग उनके आदेशके पालन हेतु करें, उससे आपका कल्याण निश्चित ही होगा ।
एक और महत्त्वपूर्ण बात बता दें कि सन्त या गुरुके एक भी आदेशका पालन आपको अध्यात्मकी विलक्षण अनुभूति दे सकता है, आपके असाध्य कष्टोंको सदैवके लिए समाप्त कर सकता है या आपको जीवनमुक्त भी कर सकता है, अर्थात आप इस भवबन्धनसे सदैवके लिए मुक्त हो सकते हैं । आजकल अनेक लोग सन्तोंके सामर्थ्यसे अनभिज्ञ होते हैं; इसलिए वे सन्तोंकी आज्ञाका पालन या तो करते नहीं हैं या अनमने मनसे मात्र करने हेतु करते हैं ।
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