अक्तूबर ११, २०१८
जम्मू-कश्मीर ‘मुस्लिम वक्फ बोर्ड’का अध्यक्ष अब राज्यपाल भी हो सकता है, परन्तु वह मुस्लिम हो ! यदि वह गैर मुस्लिम है तो वह अपने ही किसी मुस्लिम सलाहकार या गणमान्य मुस्लिम नागरिकको भी मण्डलका (बोर्डका) अध्यक्ष बना सकते हैं । इनके संविधानके अनुसार अभी तक राज्यका मुख्यमन्त्री ही ‘मुस्लिम वक्फ बोर्ड’का अध्यक्ष होता है । कोई भी गैर मुस्लिम व्यक्ति बोर्डका सदस्य नहीं हो सकता !
अब ऐसा नहीं होगा ! राज्यपाल सत्यपाल मलिकने समितिके प्रावधानमें संशोधनके इस प्रस्तावको स्वीकृति दे दी है । यद्यपि इस आदेशके पश्चात राज्यपाल राजनीतिक दलोंके लक्ष्यपर आए हैं । वह इसे उनके धार्मिक प्रकरणमें हस्तक्षेप बता रहे हैं ।
मुस्लिम समुदायके धार्मिक स्थलों और उसकी सम्पत्तियोंकी देखरेखका उत्तरदायित्व ‘मुस्लिम वक्फ बोर्ड’के पास रहता है । १९ जूनको राज्यमें पीडीपी-भाजपा गठबन्धन सरकारके भंग होनेके पश्चात समितिका कोई भी अध्यक्ष नहीं है । पीडीपी-भाजपा गठबन्धन सरकारके सत्तामें रहते हुए पूर्व मुख्यमन्त्री महबूबा मुफ्ती समितिकी अध्यक्षा थी ।
राज्यपाल शासन लागू होनेके पश्चात समितिमें अध्यक्षका पद रिक्त है । इससे सम्बन्धित कार्य प्रभावित हो रहा है ।
इस संशोधनके पश्चात राज्यमें यदि राज्यपाल शासन लागू होता है और वह मुस्लिम समुदायसे सम्बन्धित है तो वे भी समितिका अध्यक्ष बन सकता है । यदि ऐसा नहीं है तो राज्यपाल अपने किसी मुस्लिम सलाहकारको समितिका अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है ।
“कश्मीरी पण्डितोंका नरसंहार कर भारतके स्वर्गको मुगलिस्तान बनाने वालोंका हिसाब होना आरम्भ हो गया है !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जागरण
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