जन्म हिन्दु और कर्म हिन्दुमें क्या भेद है ?
जन्म हिन्दु अर्थात जो समझता है कि मात्र हिन्दु कुलमें जन्म लेनेसे मैं हिन्दू कहलाने योग्य हो गया और उसे लगता है हिंदु धर्म स्वयंभू है अतः वह नष्ट नहीं हो सकता अतः समाजमें हो रहे धर्मग्लानिको देखकर वह मौन रहता है और न ही वह धर्माचरण करता है |
कर्म हिन्दु वह है जो अपने हीन गुणोंका अर्थात स्वभावदोष और अहंको दूर करने हेतु प्रयत्नशील रहता है और अपने विषय वासनाओंको नियंत्रित कर शास्त्र वचनोंको अपने जीवनमें उतारनेका प्रयास करते हुए हिन्दु धर्म रक्षणार्थ क्रियाशील रहता है, हिन्दु धर्म आज तक इस संसारमें ऐसे ही हिंदुओंके सत्कर्मके कारण विद्यमान है |
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