झारखंडमें ईसाइयोंके ‘चंगुल’से मुक्त हो रहे हैं आदिवासी, ३ परिवारके ९ सदस्योंनेकी घर’वापसी’, ३ वर्ष पूर्व किया था धर्मान्तरण
६ फरवरी, २०२२
झारखंड जैसे आदिवासी बहुलवाले राज्योंमें धर्मान्तरणका खेल अत्यधिक गम्भीरताके साथ खेला जा रहा है । धर्मान्तरण करानेवाले इन ‘गिरोह’के ‘चक्कर’में ‘भोले-भाले’ आदिवासी फंस जाते हैं । राज्यके मझगांवमें भी तीन वर्ष पूर्व कुछ परिवारने ईसाई पन्थ अपना लिया था । अब ये परिवार पूर्ण ‘रीति-रिवाज’के साथ अपने धर्ममें लौटकर आ गए हैं ।
‘नवभारत टाइम्स’के अनुसार, पश्चिमी सिंहभूम जनपदके मझगांव ‘थाना’ क्षेत्रके तेतरिया पंचायतके सिरासाई मंगापाट गांवके ३ परिवारके १४ सदस्य ईसाई पन्थमें परिवर्तित हो गए थे । इनमेंसे ९ लोगोंने घर’वापसी’ कर ली है; यद्यपि ५ लोग अभी भी ईसाई पन्थको मान रहे हैं ।
सरना समाजके इन परिवारको धर्मान्तरणके पश्चातसे ही घर’वापसी’ करानेके प्रयास किया जा रहा था । आदिवासी समाज युवा महासभा इन परिवारको सरना धर्ममें ‘वापसी’ करानेका लगातार प्रयास कर रही थी । महासभाका कहना है कि यह परिवर्तन लोगोंमें अपने धर्मके प्रति प्रेम और चेतनाके कारण हो रहा है ।
आदिवासी युवा महासभा अभिनन्दनकी पात्र है । उनके भरसक प्रयासके कारण ही यह घर’वापसी’ सम्भव हो पाई है । आदिवासी लोग शिक्षाके अभाव और अल्प धनके लोभमें आकर अपने धर्मसे अन्य पन्थमें जाते है । केन्द्र शासनको चाहिए कि आदिवासी समाजके शिक्षित लोगोंको साथमें लेकर अशिक्षित आदिवासी लोगोंको मुख्य धारासे जोडनेका प्रयास करें, जिससे उन्हें अपने धर्मका ज्ञान हो और वे धर्म परिवर्तनके खेलको समझ सकें ! – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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