‘क्षमा वीरस्य आभूषणं’


दुर्जनोंके साथ कैसा वर्तन करना चाहिए मेरे इस लेखके बारेमें एक व्यक्तिने प्रतिक्रिया दी है – ‘क्षमा वीरस्य आभूषणं’ | तो क्षमाके बारेमें योग्य दृष्टिकोण जान लें – व्यष्टि स्तरपर यदि कोई आपका कोई मानसिक स्तरपर आघात करे या वाणीद्वारा आपका तिरस्कार करे तो आपने उसे अवश्य ही क्षमा करना चाहिए; परंतु यदि समष्टि स्तरपर दुर्जन प्रवृत्तिके लोगोंद्वारा अत्याचार हो रहा हो तो उसे तुरंत कठोरतम दंड दें अन्यथा समाजमें व्यभिचार फैलते देर नहीं लगेगा | उदाहरण देखिये पाकिस्तानके कुकृत्योंको हम क्षमा करते जा रहे हैं और उसका मनोबल बढता जा रहा है, उसके बढते मनोबलको देख चीन हमारी सीमामें घुसकर हमसे, हमारे बंकर, हमारे ही हाथों तुडवा देता है ! चारों ओर बलात्कार हो रहा है । वस्तुत: बलात्कारियोंको दो दिनके अंदर सार्वजनिक स्थानपर कोडे लगवा कर उसे मृत्युदंड दिया जाए, तो दूसरे ऐसे सारे कामी पृरुषोंकी वासना की भूख पूरी करने की इच्छा , तुरंत ही मृत्युके दंड के डरसे हवा हो जाएगी ! अतः किस समय किस गुणको अपनाना चाहिए यह शास्त्रज्ञसे पूछकार आत्मसात करें ! समाज और राष्ट्र का अहित करनेवालेको क्षमा करनावाला नपुंसक प्रवृत्तिका होता है और ऐसे लोग समाज और राष्ट्रके विनाशक होते हैं, यह ध्यान रहे ! -तनुजा ठाकुर



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