आजके कलाकारोंद्वारा मां सरस्वतीका अपमान !


पूर्व कालमें कलाकार देवी-देवता, सन्त-गुरुकी अराधनाकर अपनी कलाका प्रदर्शन किया करते थे । आज स्थिति पूर्णत: विपरीत है । आजके कलाकारके पास साधना और भावका आधार न होनेके कारण, न ही वे व्यासपीठकी गरिमाको बनाए रखते हैं, न कलाकी ! कोई सन्तकी वाणीका उपहास करता है, तो कोई सन्तोंका, कोई धर्मशास्त्रोंका, तो कोई देवी-देवताओंका, तो कोई राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगीतका ! आजके अधिकांश कलाकारोंसे रज-तमके स्पन्दन आते हैं, यश और धन पाने हेतु वे ओछीसे ओछी और घृणित कृति करते हैं ! ऐसे कलाकारोंको मां सरस्वतीद्वारा अगले जन्ममें मूक, बधिर, मानसिक रूपसे विक्षिप्त होनेका अभिशाप मिलता है और वे इसीके पात्र भी होते हैं ! हिन्दू राष्ट्रमें कोई इस प्रकारकी धृष्टता करनेकी कल्पना भी नहीं करेगा; अतः हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना सभी समस्याओंका एक मात्र उपाय है !



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