जून ९, १०१८
कर्नाटकके मन्त्रिमण्डलमें पदोंके बटवारेको लेकर मन्त्रियोंमें रूठने -मनानेका समय चल रहा है । कभी कांग्रेसके मन्त्री पदोंको लेकर रूठ जाते हैं तो कभी जेडीएसके मन्त्री ! वर्तमान प्रकरण शिक्षा मन्त्रीकी शिक्षाको लेकर है । मुख्यमन्त्री एचडी कुमारस्वामीने जेडीएसके वरिष्ठ नेता जीटी देवगौडाको उच्च शिक्षा मन्त्री बनाया है । यद्यपि अपने पदको लेकर देवगौडाने अपना विरोध दिखा दिया हैै; लेकिन सबसे अधिक चर्चा इस बातकी है कि मुख्यमन्त्रीने ८वीं पास नेता और उच्च शिक्षा मन्त्री बनाया है ! ज्ञात हो कि चामुण्डेश्वरी विधानसभासे पूर्व मुख्यमन्त्री सिद्धारमैयाको पराजित करने वाले जीटी देवगौडाने केवल ८वीं तक ही शिक्षा ग्रहण की है ! यद्यपि मुख्यमन्त्री एचडी कुमारस्वामीने इसपर स्पष्टीकरण दिया है कि किसी नेताकी शिक्षासे उनके विभागोंकाकोई लेना -देना नहीं होता है । उनका अनुभव ही कार्य करता है । उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा, ‘मैंने क्या पढाई की ? मैं कर्नाटकका मुख्यमन्त्री हूं ।’ उन्होंने यहां कहा, ‘क्या मुझे वित्त मन्त्रालय दिया जाना चाहिए ? कुछ मन्त्रालयोंकी मांग होगी; लेकिन कुछ निर्णय दलके अन्दर होते हैं ।’ उन्होंने कहा कि पहले मन्त्री बनने और फिर कोई विशेष विभाग मांगनेकी बात सामान्य है ।
कुमारस्वामीने कहा, ‘कुछ लोगोंको किसी विशेष विभागमें कार्य करनेकी इच्छा होती है; लेकिन प्रत्येक विभाग प्रभावी रूपसे कार्य करनेका अवसर होता है । हमें प्रभावी ढंगसे कार्य करना होगा ।’ आठवीं कक्षा पास एक मन्त्रीको उच्च शिक्षा विभाग आवण्टित किए जानेपर उठ रहे प्रश्नोंको नकारते हुए उन्होंने यह बात कही ।
बताया जाता है कि अल्प शिक्षित होनेके कारण जीटी देवगौडा यह मन्त्रालय मिलनेसे प्रसन्न नहीं हैं । दल सूत्रोंके अनुसार पूर्व मुख्यमन्त्री सिद्धारमैयाको १२ मईको हुए विधानसभा मतदानमें मैसुरूसे पराजित वाले देवगौडा कोई बडा विभाग चाहते थे । उच्च शिक्षा विभाग मिलनेपर जीटी देवगौडा ने कथित रूपसे कहा था, ‘क्या उच्च शिक्षा विभाग और लघु सिंचाईके अतिरिक्त कोई अन्य विभाग अच्छा कार्य करनेके लिए है ?’
जीटी देवगौडा ८वीं पास हैं और वर्तमानमें वह राजनेता होनेके साथ -साथ एक प्रगतिशील किसान भी हैं । देवगौडा ३ बार विधायक रह चुके हैं और सहकारिता मन्त्री रह चुके हैं । इस बार उन्होंने चामुण्डेश्वरीसे पूर्व मुख्यमन्त्री सिद्धारमैयाको पराजितकिया था । १९७० में उन्होंने ‘को ऑपरेटिव सोसाइटी’के सचिव पदसे अपने राजनीतिक जीवनका आरम्भ किया था ।
२००४ में उन्होंने हुनसुर विधानसभासे चुनाव लडा और विजय प्राप्त की थी । इसी वर्ष उन्होंने लोकसभाका चुनाव भी लडा; लेकिन पराजित हो गए । २००७ में जीटी देवगौडा भाजपिमें सम्मिलित हो गए थे; लेकिन बादमें २०१३ में जेडीएमें सम्मिलित हो गए और चामुण्डेश्वरीसे विजय प्राप्त की ।
देवगौडाके अतिरिक्त सीएस पुत्ताराजू भी अपने लघु सिंचाई विभागसे प्रसन्न नहीं है । पुत्ताराजूने लोकसभा सीट छोडकर मेलूकोटेसे चुनाव लडा और वहांसे विजयी हुए । उन्हें परिवहन सहित महत्वर्पूण मन्त्रालयोंका उत्तरदायित्व मिलनेकी आशा थी; लेकिन परिवहन मन्त्रालय जेडीएस मुखिया एचडी देवगौडाके सम्बन्धी डीसी तमन्नाको दिया गया है ।
ज्ञात हो कि कुमास्वामीने शुक्रवारको मन्त्रालयोंका विभाजन किया था । मुख्यमन्त्री एचडी कुमारस्वामीने वित्त और विद्युत जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी अपने पास रख लिए, जबकि गृहमन्त्रालय कांग्रेससे उपमुख्यमन्त्री बने जी. परमेश्वराको दिया गया है । बीएसपीके एकमात्र विधायक एन महेशको प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मन्त्री बनाया गया है ।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गान्धीे शनिवारको कर्नाटकके असन्तुष्ट विधायकोंसे मिले; यद्यपि इससे कोई समाधान नहीं निकल सका । मन्त्री नहीं बनाए जानेसे रूष्ट बताए जा रहे एमबी पाटिलके नेतृत्वमें दलके कई विधायकोंकी गान्धीेके साथ बैठक हुई । कांग्रेसके वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समितिके कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश गुण्डू राव तथा राज्यके मन्त्री कृष्णा बी. गौडाभी इस बैठकमें उपस्थित थे ।
मिलनेके बाद पाटिलने कहा कहा कि मन्त्रिमण्डल विस्तारके बाद से अप्रसन्न १५-२० विधायकोंसे चर्चाके बाद अआगेके बारेमें निर्णय किया जाएगा । पाटिलने कहा, ‘मैंने राहुल गान्धीके साथ अपने विचार साझा किए और राज्यमें स्थितिके बारेमें बताया । मैं कुछ मांग नहीं रहा हूं ।’ उन्होंने यह भी कहा कि वह प्रदेश कांग्रेस समितिके अध्यक्षकी दौडमें भी नहीं हैं ।
उधर, कैबिनेट मन्त्री डीके शिवकुमारका कहना है, “स्पष्ट है कि वरिष्ठ नेता दुखी हैं । कांग्रेसने बचे हुए विभागोंके लिए सभी विकल्प खोल रखे हैं और शीघ्र ही इन्हें भरा जाएगा । मुझे कांग्रेसपर पूर्ण विश्वास है। हम कार्यकर्ताओंके मध्य आत्मविश्वास बढाएंगे ।”
स्रोत : जी न्यूज
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