कृष्ण स्तुति


करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।
वटस्य पत्रास्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ।।
अर्थ : वटपत्रके मध्य सोये हुए, अपने हस्तकमलद्वारा पदकमलको मुखकमल प्रवेश कराते हुए, बालक कृष्णको मनसे स्मरण करता हूं ।



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