अगस्त ७, २०१८
लोकसभा और राज्यसभा जैसे देशके उच्च सदनोंमें प्रतिनिधित्व करने वाले क्षत्रिय महासभाके अध्यक्षोंकी अपने समाजके प्रति की जा रही उदासीनतापर अखण्ड राजपूताना सेवासंघने गम्भीर प्रश्न किए है !
अखण्ड राजपूताना सेवासंघके राष्ट्रीय अध्यक्ष आर पी सिंहने समस्त क्षत्रिय समाजको सम्बोधित करते हुए कहा है कि ४ अगस्तको गुजरातके सूरतमें अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभाकी राष्ट्रीय कार्यकारिणीकी बैठक सम्पन्न हुई है, जिसमे सूचनाके अनुसार अनुसूचित एवं अनुसूचित जन जाति विधानपर देशकी सर्वोच्च संगठनके (अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा) कार्यकारिणीमें निर्णय क्या हुआ और उसे कार्यान्वित कब और किस प्रकार करेंगे ?, यह सबके लिए जिज्ञासाका विषय है । हम सबको ज्ञात है कि महासभाके अध्यक्ष देशके लोकसभामें सांसद है, जहां यह विधान बन रहा है, उसमे उनकी स्वत:की अभीतक क्या भूमिका रही और भविष्यमें क्या रहेगी ?, यह भी सम्भवत: कार्यकारिणीमें सभीके समक्ष आ गया होगा, जिसे महासभा सार्वजनिक अवश्य करेगी । विचारणीय है कि महासभाके सांसद एक जातिगत (पटेल समाज ) राजनितिक दलके (अपना दल ) सांसद है, जिनको सम्भवत: हम सबसे अधिक जातिवादिताका अनुभव आ चुका होगा और वे निरन्तरतामें गत चार वर्ष भी अधिक समय से सांसदके रूपमें लाभ भी प्राप्त कर रहे है । हमे क्या यह आशा करना चाहिए कि मा.अध्यक्ष महोदय एवं महासभा अपने समाजपर विश्वास करते हुए अगला मतदान समाजके दलके माध्यमसे लडनेका विचार करेगा या केवल राजपूत समाजको सभाओं और चर्चाओंतक में ही समेटनेमें ही संलिप्तता बनाए रखेंगे और राजनितिक शक्तिके लिए दूसरे जातिगत राजनितिक दलको शक्ति देते रहेंगे ।
आज महासभाके नामपर चलने वाले दो राष्ट्रीय अध्यक्ष सॉसद है, जिसमे कुवंर हरिवंश सिंह लोकसभा और डॉ.संजय सिंह राज्यसभा परन्तु निराशा है कि दोनो महानुभाव सदन तो छोडिए, सार्वजनिक वक्तव्य तक नही दे सके, यह भी एक विचारणीय प्रश्न है !
स्रोत : समाचार वार्ता
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