बनारस हिन्दू विश्वविद्यालयने प्रारम्भ किया ललित कला (‘एम.ए.’) के लिए राष्ट्रका प्रथम ‘हिन्दू पाठ्यक्रम’


२० जनवरी, २०२२
         उत्तरप्रदेशमें वाराणसीके बनारस हिन्दू विश्वविद्यालयमें ललित कला (‘एम.ए.’) के लिए ‘हिन्दू पाठ्यक्रम’ यह नया पाठ्यक्रम आरम्भ किया गया है । राष्ट्रमें यह इस प्रकारका प्रथम पदव्युत्तर पाठ्यक्रम है । इस पाठ्यक्रमको ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, २०२०’ के अनुसार निर्मित किया गया है । कला विभागके अन्तर्गत यह पाठ्यक्रम आएगा । दर्शनशास्त्र और धर्मविभाग, संस्कृत विभाग और प्राचीन भारतीय इतिहास, साथ ही संस्कृति और पुरातत्त्व विभागके सहयोगसे यह पाठ्यक्रम बनाया गया है ।
         विश्वविद्यालयके कुलपति डॉ. विजय कुमार शुक्लने कहा, “यह पाठ्यक्रम विश्वमें हिन्दू धर्मके अज्ञात पक्षोंकी जानकारी और शिक्षा देनेवाला है । इसके प्रथम जत्थेमें (बैचमें) ४५ विद्यार्थी सहभागी होनेवाले हैं । इसमें कुछ विदेशी विद्यार्थी भी हैं । एक वरिष्ठ प्राध्यापक वी.के. शुक्लने कहा, “यह पाठ्यक्रम विश्वको हिन्दू धर्मके अनेक अज्ञात पक्षोंसे अवगत कराएगा और इसकी शिक्षाओंको अधिक लोगोंतक ले जानेमें सहायता करेगा ।” प्रथम जत्थेमें एक विदेशी सहित कुल ४५ छात्र सम्मिलित हुए हैं । शताब्दी अध्यक्ष प्राध्यापक राकेश उपाध्यायने कहा कि पाठ्यक्रम ‘सनातन’ जीवन मूल्योंके निर्माणके लिए महत्त्वपूर्ण है ।
      हिन्दू धर्मकी शिक्षा प्रदान करनेवाले इस पाठ्यक्रमका आरम्भ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालयके साथ अब राष्ट्रके प्रत्येक विश्वविद्यालय एवं पाठशालामें होना चाहिए । इससे बालकोंमें बाल्यकालसे ही हिन्दू धर्मके प्रति स्वाभिमानका निर्माण होगा । केन्द्र शासन मुगलोंका गुणगान करनेवाले झूठे इतिहासको शिक्षासे हटाकर हिन्दू वीरोंका गौरवशाली इतिहास भी शिक्षण पाठ्यक्रमों सम्मिलित करे ! – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ


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