मानेसरमें सामाजिक और आर्थिक बहिष्कारके चलते रोहिंग्या मुसलमान पलायनको विवश, देहली ‘एनसीआर’के निकट अत्यधिक संख्यामें अवैध रोहिंग्याओंका गढ 


२३ जुलाई, २०२२
     पंचायतद्वारा सामाजिक और आर्थिक बहिष्कारके चलते गुरुग्रामके मानेसरसे ५० ‘घुसपैठिए’ रोहिंग्या मुसलमान परिवारको पलायनके लिए विवश होना पड है । गुरुग्रामका मानेसर एक औद्योगिक क्षेत्र है । जिसके चलते इसे चाकरियोंका (नौकरियोंका) गढ माना जाता है; किन्तु यहांकी पंचायतमें यहां ‘झुग्गी-बस्ती’में रहनेवालोंकी वास्तविकतापर जब प्रश्नचिह्न लगा और जब उनसे पूछताछ की गई और ‘पहचानपत्र’ दिखानेको कहा गया तो ‘धीरे-धीरे’ लोग ओझल (गायब) होने लगे । इतना ही नहीं लोग ‘पहचानपत्र’के आधारपर ‘पुलिस’ सत्यापन (वेरिफिकेशन) करानेकी भी मांग करते हैं, जिसके चलते ‘घुसपैठियों’का यहां रहना दुष्कर हो गया है ।
          इस विषयके सामने आनेके पश्चात यहांके उद्योगोंका वामपन्थियोंद्वारा विरोध किया जा रहा है कि ‘कम्पनियां’ मुसलमान विरोधी हैं । जिसके पश्चात मारूति सुजुकीसे लेकर लगभग सभी प्रमुख ‘कम्पनियों’ने स्पष्ट किया है कि वे धार्मिक आधारपर श्रमिकोंके साथ किसी प्रकारका भेदभाव नहीं करती हैं । वहीं मुसलमानोंके पलायन और श्रमिक संघपर लगे आरोपोंको लेकर मानेसरके सभी श्रमिक संघ भी आक्रोशित हैं । उनका कहना है कि जो स्वयं साम्प्रदायिक तनाव फैलानेके लिए जाने जाते रहे हैं, वे हमें कट्टर ठहराकर निरर्थक आरोप लगा रहे हैं ।
      वहांकी स्थानीय पंचायतका यह कृत्य सराहनीय है, इसका सर्वत्र अनुसरण किया जाना चाहिए । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : टीएफआई पोस्ट


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