आतंकीके समर्थनमें उतरे महबूबा और ओवैसी, मुफ्तीने मन्नान वानीको बताया कश्मीर हिंसा पीडित !


अक्तूबर १६, २०१८

पूर्व मुख्यमन्त्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्तीने मारे गए अन्वेषण विद्वानसे (रिसर्च स्कॉलर) ‘हिजबुल’ मुखिया बने मन्नान वानीको कश्मीरमें जारी हिंसाका पीडित बताया है । उन्होंने अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालयके (एएमयू) उन छात्रोंपर अभियोग वापस लेनेकी मांग की, जिनपर देशद्रोहके अभियोग प्रविष्ट किए गए हैं ।

छात्रोंके समर्थनमें उतरीं महबूबा मुफ्तीने ‘ट्विटर’पर लिखा कि छात्रोंपर इतना दबाव बनाना उल्टा पड सकता है । केन्द्रको इसमें हस्तक्षेप करके अभियोग वापस करवाने चाहिए और विश्वविद्यालय प्रशासनको चाहिए कि वह छात्रोंके निलम्बनको वापस लें ! राज्य सरकारको भी स्थितिके बारेमें संवेदनशील होना चाहिए और अलगावको रोकना चाहिए । यदि छात्रोंको अपने पूर्व साथी छात्रको, जो कश्मीरमें निर्मम हत्याका लक्ष्य बना, स्मरण करनेके लिए दण्ड मिलता है तो यह एक विचित्र नाटककी भांति होगा ।”

गत ११ अक्टूबरको भिडन्तमें आतंकी मन्नानको सुरक्षाबलोंने मार दिया था । इसी प्रकरणमें एएमयू परिसरमें छात्रोंने मन्नानका ‘नमाज-ए-जनाजा’ आयोजित करनेका प्रयास किया ! तीन छात्रोंपर परिसरमें भारत विरोधी नारे लगानेके आरोपोंके चलते देशद्रोहका अभियोग प्रविष्ट किया गया था । इस कार्यवाहीसे क्रुद्ध १२०० कश्मीरी छात्रोंने एएमयू प्रशासनको पत्र लिखकर चेतावनी दी कि यदि अभियोग वापस नहीं हुए तो सभी छात्र सर सैयद दिवसपर १७ अक्तूबरको विश्वविद्यालय छोडकर चले जाएंगे ।

निरीक्षकके (प्रॉक्टरके) आदेशोंका पूर्ण रूपसे पालन किया गया है । किसी प्रकारका कोई आयोजन नहीं किया गया है । ज्ञात हो कि सोमवारको ही कश्मीर विश्वविद्यालयके छात्रोंने एएमयू छात्रोंके समर्थनमें मौन यात्रा निकाली । वहीं, सीपीआईएम नेता व विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामीने भी राज्यसे बाहर कश्मीरी छात्रोंको प्रताडित करनेका आरोप लगाते हुए कहा कि कश्मीरी युवाओंको परेशान किया जा रहा है । उनकी आवाजको दबाया जा रहा है ।

महबूबा मुफ्तीके ‘ट्वीट’पर पूर्व मुख्यमन्त्री व नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्लाने कटाक्ष किया है । ‘ट्वीट’ कर कहा कि महबूबा सरकारने मन्नान वानीको घेरने तथा उसे मारनेके कई बार प्रयास किए हैं । मारे गए कश्मीरी आतंकियोंके लिए उनके घडियाली अश्रु व झूठी संवेदना कुछ वर्ष पूर्व तक काम करते थे, लेकिन अब नहीं करेंगे ।


मन्नानके पिता बोले, शोक प्रकट करना अपराध नहीं है ! उन्होंने कहा है कि मानवताके लिए छात्रोंको छोडा जाना चाहिए; क्योंकि दुखके इस समयमें उन्होंने केवल शोक प्रकट करनेके लिए ऐसा किया था । यह कोई अपराध नहीं है ।

असदुद्दीन ओवैसीने केन्द्रीय गृहमन्त्री राजनाथ सिंह और प्रबन्धनसे अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालयमें तीन कश्मीरी छात्रोंके विरुद्घ देशद्रोहका प्रकरण सुलझानेकी मांग की है । ओवैसीने कहा कि कश्मीरी छात्रोंको अपनी शिक्षा जारी रखनी चाहिए । यह राष्ट्रहित और कश्मीरके हितमें होगा कि वे अपनी शिक्षा पूर्ण करें । उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि एएमयूके उपकुलपति, वहांके शिक्षक और गृहमन्त्री गृह मन्त्रालयमें बैठकर इस प्रकरणको सुलझा लेंगे ।

 

“राजनेताओंसे लेकर छात्रों तक, चहुं ओर आतंकियोंकी भांति व्यवहार करने वाले, क्या कभी राष्ट्रके हितैषी हो सकते हैं ? स्वयं विचार करें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : अमर उजाला



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