झारखंडमें मदर टेरेसाकी संस्था सहित कई अन्य अनाथालय बंद करेगा शासन !!


जनवरी २३, २०१९

‘झारखंड स्टेट कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (SCPCR)’द्वारा राज्यमें ३१ आश्रय स्थल (शेल्टर होम्स) के विरुद्घ कार्यवाही करनेको लेकर ब्यौरा दिया गया, जिसके पश्चात ‘निर्मल हृदय’ सहित १६ ‘चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशंस’के अनुमतिपत्र (लाइसेंस) भी रद्द कर दिए गए हैं ।

आपको बता दें कि गत वर्ष जुलाईमें बीमार, असहाय, निर्धनको आश्रय देनेके लिए विश्वभरमें प्रसिद्ध मदर टेरेसाकी संस्था ‘निर्मल हृदय’पर बच्चोंको बेचनेका आरोप लगा था, जिसके पश्चात मुख्यमन्त्री रघुवर दासने ‘एससीपीसीआर’को १२६ आश्रय स्थलका भ्रमण करनेके पश्चात ब्यौरा देनेको कहा था । ‘इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम’के संचालक डीके सक्सेनाने कहा है कि १६ बखल आश्रय केन्द्रके अनुमतिपत्र (लाइसेंस) रद्द किए गए हैं । इनके विरुद्घ जुवनाइल जस्टिस अधिनियमके नियमोंका उल्लंघन करनेके आरोप हैं ।

उल्लेखनीय है कि झारखण्डकी राजधानी रांची स्थिति ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’की ओरसे संचालित संस्था ‘निर्मल हृदय’की संचालिका, एक सिस्टर और एक कर्मचारीको बच्चा बेचनेके आरोपमें बन्दी बनाया गया था, जिसके पश्चात झारखण्डमें नवजात शिशुओंके बेचे जानेके प्रकरणमें एक ननकी स्वीकृतिका वीडियो भी सामने आया था ।

यह मामला तब आया, जब उत्तरप्रदेशके सोनभद्रके ओबरा निवासी सौरभ अग्रवाल और प्रीति अग्रवालने बाल संरक्षण समितिके पास परिवाद लेकर पहुंचे कि उन्हें उनका बच्चा वापस नहीं दिया जा रहा है । इस बच्चेको उन्होंने पांच मईको १.२० लाखमें क्रय किया था ।

प्राथमिकीमें प्रविष्ट सूचनाके अनुसार गुमलाकी रहनेवाली एक दुष्कर्म पीडिता अविवाहित गर्भवती लडकी यहां रह रही थी । उसने गत एक मईको रांची सदर चिकित्सालयमें बच्चेको जन्म दिया । इस नवजातको कर्मचारी अनिमा इंदवारने सिस्टर कोंसिलियाके मिलीभगतसे अग्रवाल दंपतीको दे दिया ।  उस समय नवजात चार दिवसका ही था । इधर ३० जूनको सीडबल्यूसीके सदस्योंने संस्थाका भ्रमण किया था । इससे भयभीत होकर अनिमाने उसी दिन अग्रवाल दंपतिको चलभाषकर कहा कि बच्चेको न्यायालयमें प्रस्तुत करना है, उसे लेकर रांची आ जाइए ।

इसके पश्चात बच्चेको दो जुलाई अनिमाको दे दिया । तीन जुलाईको बच्चेकी जानकारी लेने वह संस्था पहुंचे, जहां उन्हें बच्चेसे नहीं मिलने दिया गया । इसके पश्चात उसी दिन उन्होंने इसकी परिवाद ‘सीडबल्यूसी’से की ।

 

“भावनात्मक रूपसे मानव सेवाका ढोंगकर तथाकथित कल्याण व परोपकारके नामपर ईसाई संस्थाओंका धन, धर्मपरिवर्तनका गोरखधन्धा भारतमें बिना रोक-टोक फल-फूल रहा है । ये संस्थाएं ऊपर-ऊपरसे अच्छे कार्य करती दिखती है; परन्तु समस्त अवैध गतिविधियोंमें इनका हाथ रहता है । भारतीय शासन ऐसी संस्थाओंको समूचे भारतमें प्रतिबन्ध लगाए ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : न्यूज १८



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