अगस्त १७, २०१८
उत्तर प्रदेश शासनने आज उच्चतम न्यायालयको सूचित किया कि प्रदेशके पूर्व मुख्यमन्त्रियोंको आवण्टित भवनों सहित उसने १५७ शासकीय भवन रिक्त कराए हैं । प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूडकी पीठको उत्तर प्रदेश शासनके अधिवक्ताने बताया कि शीर्ष न्यायालयके आदेशमें निर्धारित अवधिसे अधिक शासकीय भवनमें रहने वाले व्यक्तियोंको इसमें रहनेका शुल्क देना होगा !
राज्य शासनके अधिवक्ताने कहा, ‘हम शीर्ष न्यायालयके आदेशका पालन कर रहे हैं और अभी तक १५७ आवास रिक्त किए जा चुके हैं । इन भवनोंमें निर्धारित अवधिसे अधिक रहने वाले व्यक्तियोंको इसका शुल्क देना होगा । पीठने राज्य शासनके अधिवक्तासे कहा कि इस सम्बन्धमें दो सप्ताहके भीतर शपथपत्र प्रविष्ट किया जाए । इसमें यह स्पष्ट सूचना दी जाए कि कितने भवन रिक्त हो चुके हैं और अब तक कितना धन वसूला गया है ।
न्यायालयने इसके साथ ही इस प्रकरणको अग्रिम सुनवाईके लिए १७ सितम्बरको सूचीबद्ध कर दिया है । शीर्ष न्यायालयने ११ अप्रैल, २०१७ को उस प्रार्थनापर राज्य शासनसे उत्तर मांगा था, जिसमे पूर्व मुख्यमन्त्रियोंसे शासकीय आवास रिक्त करानेमें विफल रहने वाले प्राधिकारियोंके विरूद्ध कार्यवाहीका अनुरोध किया गया है । शीर्ष न्यायालयने उत्तर प्रदेशके एक अशासकीय संगठन ‘लोक प्रहरी’की जनहित याचिकापर सुनवाईके समय राज्य शासनके सम्पदा निदेशकसे इस सम्बन्धमें उत्तर मांगा था ।
न्यायालयने एक अगस्त, २०१६ को अपने निर्णयमें कहा था कि पूर्व मुख्यमन्त्रियोंको पदसे हटनेके पश्चात अपने भवनको रिक्त कर देना चाहिए । न्यायालयने ऐसे भवनमें निर्धारित अवधिके पश्चात रहने वालोंसे उचित शुल्क लेनेको कहा ।
स्रोत : लाइव हिन्दुस्तान
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