जीवित रहनेके लिए सङ्घर्ष करते हुए, अन्ततः मुंबईकी सामूहिक दुष्कर्म पीडिताने ३ दिवस पश्चात त्यागे प्राण, दुष्टोंने गुप्ताङ्गमें डाल दी थी ‘रॉड’


११ सिंतबर, २०२१
      मुंबईकी ३० वर्षीय दुष्कर्म पीडिताने तीन दिवस पश्चात, शनिवारको (११ सितम्बरको) उपचारके मध्य प्राण त्याग दिए । दुष्कर्म पीडिताका उपचार घाटकोपरके राजावाडी चिकित्सालयमें चल रहा था । ‘मीडिया’ विवरणके अनुसार, तीन दिवसोंसे महिलाकी स्थिति अत्याधिक संवेदनशील बनी हुई थी । नरपिशाचोंद्वारा की गई क्रूरताके कारण, उसके शरीरसे अत्याधिक रक्त बह गया था, वह श्वसनयन्त्रपर (वेंटिलेटर) थी । चिकित्सकोंने उसे बचाने हेतु पर्याप्त प्रयास किए; परन्तु वह उसे नहीं बचा सके ।
      चिकित्सालय प्रशासनने पीडिताकी मृत्युकी पुष्टि कर दी है । वहीं, गृहमन्त्री दिलीप वलसे पाटीलने आरोपितके विरुद्ध कठोर कार्रवाईका आदेश दिया है । उन्होंने कहा कि इस घटनापर मेरी दृष्टि है एवं प्रतिपलकी जानकारी ले रहा हूं ।
      विवरणके अनुसार, ९ सितम्बरको ३० वर्षीय महिला, महाराष्ट्रकी राजधानी मुंबईके साकीनाका क्षेत्रके खैरानी मार्गपर दुष्कर्मके पश्चात मूर्छित स्तिथिमें मिली थी । दुष्कर्मके पश्चात नरपिशाचोंने पीडिताको ‘रॉड’से पीटा, उसके पश्चात उसे, उसके गुप्ताङ्गमें डाल दिया । घटनास्थलपर पहुंची ‘पुलिस’ने रक्तसे लथपथ महिलाको चिकित्सालय पहुंचाया था ।
      इस घटनाका एक ‘CCTV’ दृश्यपट भी सामने आया, जिसके आधारपर ‘पुलिस’ने एक आरोपितको बन्दी बनाया है । ज्ञातव्य है कि देहलीके ‘निर्भया काण्ड’ जैसी हृदयविदारक घटनाको मुंबईके साकीनाकामें देर रात्रि २.३० से ३ बजेके मध्य घटित हुई थी । बन्दी आरोपितका अभिज्ञान (पहचान) मनोज चौहानके रूपमें हुआ है । ‘पुलिस’ने उसके साथ कुछ अन्य लोगोंके इस घटनामें सम्मिलित होनेकी आशङ्का जताई है ।
      आरोपितके विरुद्ध ‘आईपीसी’की धारा ३०७, ३७६, ३२३ एवं ५०४ के अन्तर्गत घटना प्रविष्ट किया गया है । बता दें कि इससे पूर्व, पुणेमें १४ वर्षकी लडकीके साथ सामूहिक दुष्कर्मकी घटनामें १३ लोगोंको बन्दी बनाए जा चुका है । सभी आरोपितोंने पीडिताके साथ ५ पृथक-पृथक स्थानोंपर ४८ घण्टेके भीतर कई बार दुष्कर्म किया । इसमें लडकीका मित्र, ४ विद्यालयके, २ रेलयान कर्मचारी एवं ११ ‘ऑटोरिक्शा’वाले भी सम्मिलित थे ।
       देशकी न्याय प्रणाली कितनी क्रियाशील है तथा ‘पुलिस’ प्रशासन कितना सतर्क है ? यह प्रकरण इसका साक्षात प्रमाण है । हिन्दुओ, अब हमें स्वयं ही अपनी बहन-बेटियोंकी रक्षाका उत्तरदायित्व उठाना होगा । इस हेतु सर्वप्रथम बेटियोंको आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण देनेकी आवश्यकता होगी; अतः शीघ्र ही, इस ओर प्रयास आरम्भ करें तथा किसी भी प्रकार के अन्यायके विरुद्ध मुखर होकर उसका विरोध करें, जिससे यह सोई हुई न्याय व्यवस्था जाग्रत हो एवं हमारी बेटियोंको शीघ्र ही न्याय मिल सके । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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